“Banking Fraud India”:SBI मैनेजर बने ठगों का शिकार,फर्जी लेटरपैड से उड़ाए लाखों,पढ़ें पूरी खबर…NV News

Share this

NV News:राजधानी रायपुर के रामसागरपारा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) शाखा में साइबर ठगों ने इतनी चालाकी से ठगी की हैं,कि बैंक का मैनेजर खुद ही उनके जाल में फंस गया। आरोपियों ने फर्जी कॉल, लेटरपैड और पुराने मैनेजर की पहचान का इस्तेमाल कर 17 लाख 52 हजार रुपये का ट्रांसफर करवा लिया। गनीमत रही कि समय रहते 14 लाख रुपये खाते में होल्ड कर दिए गए, लेकिन 3 लाख रुपये ठग निकाल ले गए।

पुराने मैनेजर का नंबर(formal manager number)बन गया हथियार:

दरअसल,मामले की शुरुआत 8 अगस्त से हुई। शाखा प्रबंधक आशुतोष कुमार, जो मूल रूप से गिरिडीह (झारखंड) के रहने वाले हैं, को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाला खुद को पूर्व शाखा प्रबंधक (former manager)कार्तिक राउत बता रहा था। उसने बातचीत में भरोसा दिलाया कि कृष्णा बिल्डर्स के डायरेक्टर सुनील तापड़िया बैंक के पुराने और भरोसेमंद ग्राहक हैं। साथ ही आशुतोष को कहा गया कि उनका फोन आए तो मदद जरूर करना।

बता दें,यह कॉल असल में ठगों की पहली चाल थी। उन्होंने इंटरनेट से कार्तिक राउत का असली नंबर खोज निकाला और उन्हीं के नाम पर मैनेजर से बातचीत की। कार्तिक राउत को भी यकीन नहीं था कि उनके नाम का इस्तेमाल हो रहा है, और उन्होंने अनजाने में नए मैनेजर को सुनील तापड़िया के बारे में जानकारी दे दी।

दूसरी कॉल और फर्जी लेटरपैड(fake letterhead game) का खेल:

11 अगस्त को आशुतोष को दोबारा कॉल आया, इस बार कॉल करने वाला खुद को सुनील तापड़िया बता रहा था। उसने कहा कि वह रजिस्ट्री ऑफिस में व्यस्त है और बैंक आने का समय नहीं है। थोड़ी देर बाद आशुतोष को व्हाट्सऐप पर एक दस्तावेज मिला,कृष्णा बिल्डर्स के नाम पर तैयार किया गया फर्जी लेटरपैड।

उस लेटरपैड में राजस्थान निवासी सरफराज अंसारी के खाते में 17.52 लाख रुपये NEFT के जरिए ट्रांसफर करने का अनुरोध था। दस्तावेज देखने में पूरी तरह असली लग रहा था।कंपनी का नाम, लोगो, हस्ताक्षर सब कुछ।

बिना पुष्टि के कर दिया ट्रांसफर:

लेटरपैड और कॉल पर भरोसा कर आशुतोष ने बिना किसी स्वतंत्र सत्यापन के राशि ट्रांसफर कर दी। रकम भेजने के महज 15 मिनट बाद असली सुनील तापड़िया का फोन आया। उन्होंने हैरानी जताई कि उन्होंने तो कोई भी ट्रांसफर का अनुरोध नहीं किया है।

मैनेजर के पैरों तले जमीन खिसक गई। असली सुनील तापड़िया तुरंत बैंक पहुंचे और स्पष्ट किया कि लेटरपैड फर्जी(fake letterhead) है और जो कॉल आया था, वह भी धोखाधड़ी(fraud)थी।

तुरंत एक्शन, आंशिक रकम बचाई:

मामले की जानकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस को दी गई। बैंक ने तत्काल प्रयास कर सरफराज अंसारी के खाते में ट्रांसफर हुई राशि में से 14 लाख रुपये फ्रीज कर दिए, लेकिन 3 लाख रुपये ठग पहले ही निकाल चुके थे।

पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और आईटी एक्ट (AIT Act)की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। साइबर सेल तकनीकी जांच कर रही है और कॉल, लेटरपैड भेजने में इस्तेमाल हुए मोबाइल नंबर और IP एड्रेस की लोकेशन ट्रेस कर रही है।

किस तरह रचा गया यह पूरा जाल:

जांच में अब तक यह सामने आया है कि आरोपियों ने पहले इंटरनेट से पूर्व शाखा प्रबंधक कार्तिक राउत का असली नंबर निकाला। इसके बाद उन्होंने कार्तिक को फोन कर यह आभास दिलाया कि वे पुराने परिचित हैं। इस तरह, कार्तिक से उन्हें आशुतोष के लिए सिफारिश निकलवाने में सफलता मिली।

दूसरे चरण में, उन्होंने कृष्णा बिल्डर्स के नाम पर नकली लेटरपैड(fake letterhead)तैयार किया। डिज़ाइन और प्रिंट इतनी सटीकता से किया गया था कि बैंक अधिकारी भी पहली नजर में असली और नकली में फर्क नहीं कर सके। फिर कॉल और दस्तावेज का संयोजन करके उन्होंने मैनेजर को भरोसे में ले लिया।

बैंक अधिकारियों के लिए यह सबसे बड़ा सबक:

यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम के लिए भी चेतावनी है। एक छोटे से सत्यापन कॉल या ग्राहक की भौतिक उपस्थिति की मांग करने से यह ठगी रोकी जा सकती थी।

बिना उचित जांच के बड़े ट्रांजेक्शन करने से पहले:

• ग्राहक की पहचान और अनुरोध की सत्यता की पुष्टि करें।

• पुराने परिचितों के नाम पर भी हर आदेश की दोबारा जांच करें।

• दस्तावेज की प्रमाणिकता के लिए आधिकारिक चैनल से क्रॉस-चेक करें।

Share this