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NV News बिलासपुर The complexity of Ayushman Bharat will have to be removed,: किसी शहर के विकास का पैमाना मापना है तो वहां के स्वास्थ्य सुविधाओं को परखना चाहिए, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और मिलने वाली चिकित्सकीय सुविधाएं से पता चल जाता है कि शहर कैसा विकास कर रहा है। ऐसा नहीं है कि शासन स्तर पर बेहतर हेल्थ सुविधाएं उपलब्ध कराने कुछ नहीं किया जाता है, शासन इसके लिए अपने खजाने का द्वार भी खोलता है, लेकिन तमाम सुविधाएं देने के बाद भी इसका संचालन करने वाले जिम्मेदार ही निगरानी के अभाव में इसका बेड़ा गर्ग कर देते है। दमदार स्वास्थ्य योजनाएं भी दम तोड़ देती है।वही यदि इन चीजों को ध्यान देकर कमियां दूर की जाए तो हमारे जिले का स्वास्थ्य सुविधा भी अव्वल दर्जे का हो सकता है।
Ayushman Bharat: किसी की भी सरकार हो, वे शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा पैसा खर्च करते है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों के लिए मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाता है, महंगे से महंगे मशीन उपलब्ध कराई जाती है, दवाओं की व्यवस्था की जाती है। इतनी सुविधाएं दी जाती है कि कोई भी निजी अस्पताल, सरकारी अस्पताल के सामने टीक भी नहीं सकता है। लेकिन इस तरह की तमाम सुविधा होने के बाद भी इसके संचालन में लगे जिम्मेदार ही इसका बेड़ागर्ग कर रहे है। हो या रहा है तमाम सुविधाएं सिस्टम की उदासिनता के चलते हर लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में यह जरुरी हो गया है कि इनकी मानिटरिंग की जाए और रिर्सोस का सही उपयोग करवाया जाए। यदि ऐसा किया जाता है तो खुद बखुद ही जिले का चिकित्सकीय सुविधा बेहतर होते जाएगा और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सकेंगे।
रिर्सोस का करना होगा बेहतर उपयोग
शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डा़ ओम मखीजा कहते है कि जिले की चिकित्सकीय व्यवस्था को और भी बेहतर बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरुरी हो गया है। उनका कहना है कि सिम्स एक बड़ा हास्पिटल है।(Ayushman Bharat) वहां पर मानव व चिकित्सकीय संसाधन की कोई कमी है। लेकिन इनका उपयोग सही तरीके से नहीं किया जाता है। इसी तरह जिले के अन्य शासकीय अस्पतालों का भी कुछ ऐसा ही हाल है। साफ है रिसोर्च का बेहतर उपयोग नहीं किया जा रहा है। अक्सर सुनने में आता है कि पहला चिकित्सकीय मशीन बंद पड़ गई, लेकिन उसे महिनों तक नहीं बनवाया जाता है। जबकि उसे बनाने के लिए पैसों की कमी नहीं होती है, जिम्मेदारों की इच्छाशक्ति में कमी रहती है। ऐसे में पूरे सिस्टम की मानटरिंग करना जरुरी हो गया है।
ऐसे में पूरे सिस्टम की मानटरिंग करना जरुरी हो गया है। शासकीय अस्पतालों की हर माह मानटरिंग होनी चाहिए, कोई भी या किसी भी की गलती मिल रही तो तत्काल एक्शन लेना चाहिए। स्वास्थ्य को लेकर खानापूर्ति रवैये को भूलना होगा, साथ ही लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई करते हुए हेल्थ सुविधाओ को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव कार्य करवाना होगा, तभी जिले की स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हो सकेगी।
आयुष्मान भारत योजना को लाए पटरी पर
शहर के वरिष्ठ डाक्टर नितीन जुनेजा का कहना है कि स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सभी संसाधन हमारे पास मौजूद है। अच्छी स्वास्थ्य योजनाएं है, लेकिन उनमे कुछ खामियां है या फिर उनका बेहतर क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। इसमे से सबसे प्रमुख विश्व की सबसे बड़े स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत है। यह बहुत बढ़िया स्वास्थ्य योजना है। लेकिन इनके संचालन में कुछ खामियां है। इसमे सबसे बड़ी खामियां यह है कि आयुष्मान से मरीज का इलाज करने के बाद मिलने वाले पैसे समय पर नहीं मिलते है, छह महिने से सालभर का समय लग जाता है। जबकि इलाज के समय डाक्टर को ही पैसे खर्च करने पड़ते है, समय पर पैसे नहीं मिलने पर संस्थान आयुष्मान से इलाज करने में रूचि नहीं लेता है। जबकि राशि समय पर रीलिज करना चाहिए। इससे आयुष्मान भारत से इलाज करने वाले चिकित्सकीय संस्थान को आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और पहुंचने वाले सभी मरीज का निश्शुल्क इलाज होता रहेगा और इससे लोगों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगेगी।
सामान्य बीमारी व सर्जरी को आयुष्मान से दूर कर बिगाड़ी जा रही स्वास्थ्य सुविधा
शहर के वरिष्ठ चिकित्कसक आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डा़ विनोद तिवारी का कहना है कि स्वास्थ्य योजनाएं तो अच्छी-अच्छी है, लेकिन उनमे कुछ खामियां भी है। जैसे की आयुष्मान भारत योजना एक अच्छी स्वास्थ्य योजना है। (Ayushman Bharat) पर इसके पैकेज बनाने में विस्तार से सोचा नहीं गया है। सामान्य होने वाले बीमारियों और सर्जरी को इस योजना से हटा दिया गया है, इसमे निजी अस्पताल को इनके इलाज करने की अनुमति नहीं दी गई है, यह सिर्फ सरकारी अस्पताल में होता है, लेकिन सरकारी अस्पताल में संसाधन का बेहतर उपयोग नहीं होने के कारण मरीज वहां इलाज करवाने से जाने के लिए कतराते है और निजी अस्पताल में अपना इलाज करवाना चाहते है। मौजूदा स्थिति दांत से संबंधित बीमारी, सिजेरेयिन, हाईड्रोसील, हार्निया आदि का इलाज निजी अस्पताल आयुष्मन के माध्यम से नहीं कर सकता है। जो योजना के क्रियान्वयन में विसंगति है। इसे दूर करना जरुरी है। यदि ऐसा किया जाता है तो चिकित्सकीय सुविधा और भी बेहतर हो जाएगी।
इन्हें भी बनाना होगा बेहतर
ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सतत निगरानी करनी होगी, सिम्स और जिला अस्पताल में संसाधन का बेहतर उपयोग करना होगा। वहीं कोनी में बन रहे सिम्स सुपर स्पेसलिटी हास्पिटल और स्टेट कैंसर सेंटर का जब संचालन शुरू किया जाएगा, वैसे ही जिले की स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होगी। लेकिन चुनौती यह है कि यहां की सुविआओं को हर मरीज तक पहुंचाना होगा। तभी जिले की स्वास्थ्य सुविधा और भी बेहतर हो सकेगी।