आंगनबाड़ी घोटाला: घटिया सामग्री सप्लाई पर बड़ी कार्रवाई, छह एजेंसियां ब्लैकलिस्ट

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NV News रायपुर : छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों और महिलाओं के लिए भेजी गई सामग्रियों की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों के बाद विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के निर्देश पर गठित राज्य स्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित की गई सामग्रियों का स्तर मानक के अनुरूप नहीं था। इसके बाद विभाग ने दोषी पाई गई छह आपूर्तिकर्ता एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है और सभी अमानक सामग्रियों को वापस लेकर मानक वस्तुएं उपलब्ध कराई गई हैं।

राज्य स्तरीय जांच समिति ने की पुष्टि

इस पूरे मामले में जांच के लिए राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति में संयुक्त संचालक (वित्त), छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी), गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी) रायपुर के तकनीकी प्रतिनिधि, संबंधित जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी, सहायक संचालक (आईसीडीएस) और दो तकनीकी निरीक्षण एजेंसियों—एसजीएस इंडिया और आईआरसीएलएएसएस सिस्टम्स के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था।

आंगनबाड़ी केंद्रों में घटिया सामग्री आपूर्ति का खुलासा: महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के निर्देश पर छह एजेंसियां ब्लैकलिस्ट

समिति ने राज्यभर के आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित सामग्रियों का भौतिक परीक्षण किया और इस परीक्षण के आधार पर जो रिपोर्ट सौंपी गई, उसमें स्पष्ट रूप से बताया गया कि कुछ एजेंसियों द्वारा आपूर्ति की गई सामग्री गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरी।

छह एजेंसियां ब्लैकलिस्ट, अब नहीं मिलेगी सरकारी सप्लाई

रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने मेसर्स नमो इंटरप्राईजेस, मेसर्स आयुष मेटल, मेसर्स अर्बन सप्लायर्स, मेसर्स मनीधारी सेल्स, मेसर्स ओरिएंटल सेल्स और मेसर्स सोनचिरिया कॉर्पोरेशन को दोषी ठहराया। इन सभी एजेंसियों को जेम पोर्टल से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि ये एजेंसियां अब भविष्य में किसी भी प्रकार की सरकारी सामग्रियों की आपूर्ति नहीं कर पाएंगी।

वित्तीय आंकड़ों को लेकर भी विभाग ने दी सफाई

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने वर्ष 2024-25 में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 40 करोड़ रुपये की सामग्री की खरीदी की है। इस पर विभाग ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह आंकड़ा गलत है। वास्तविकता में विभाग ने 23.44 करोड़ रुपये की सामग्री जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी है।

विभाग ने जोर देकर कहा कि खरीद प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही और सभी सामग्रियों की सप्लाई से पहले और बाद में गुणवत्ता की जांच करवाई गई। विभाग का यह भी कहना है कि किसी भी अमानक सामग्री के लिए किसी एजेंसी को भुगतान नहीं किया गया। विभाग की नीति के अनुसार केवल उन्हीं सामग्रियों का भुगतान किया जाता है, जो गुणवत्ता परीक्षण में पास होती हैं।

गुणवत्ताहीन सामग्री वापस, मानक वस्तुएं भेजी गईं

विभाग ने यह भी जानकारी दी कि जो सामग्री मानक पर खरी नहीं उतरी, उसे तत्काल वापस मंगवाया गया और उसकी जगह मानकों के अनुसार बनी नई सामग्री भेजी गई है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों तक बच्चों और महिलाओं के लिए केवल सुरक्षित, मजबूत और गुणवत्तापूर्ण सामग्री ही पहुंचे।

मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का सख्त रुख

कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने इस पूरे मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि बच्चों और महिलाओं से जुड़ी सेवाओं में किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में केवल उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री ही पहुंचे। हमने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। यह संदेश स्पष्ट है कि लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”

भविष्य में गुणवत्ता पर और अधिक सख्ती

इस पूरे प्रकरण के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में गुणवत्ता परीक्षण की प्रक्रिया और अधिक सख्त की जाएगी। विभाग ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे सामग्रियों के वितरण के समय भौतिक सत्यापन अनिवार्य रूप से करें और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना तुरंत संचालनालय को दें।


इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शासन की नजरें अब सिर्फ खरीदी प्रक्रिया पर ही नहीं, बल्कि आपूर्ति की गुणवत्ता पर भी केंद्रित हैं। यह कार्रवाई एक सशक्त संदेश देती है कि सरकार बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को लेकर पूरी तरह सजग है और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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