AICTE : दाखिले के नियमों में बदलाव, एक तिहाई इंजीनियरिंग कोर्स के लिए मैथ्स की अनिवार्यता खत्म

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NV News:–   अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा 2022-23 के लिए जारी मंजूर प्रक्रिया पुस्तिका  के अनुसार, 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषय आर्किटेक्चर में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए अब अनिवार्य विषय नहीं होंगे. इस फैसले से इंजीनियरिंग  और टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों को काफी राहत मिलेगी.

तीन कोर्स में केमेस्ट्री वैकल्पिक

इसके साथ ही AICTE ने कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भी 12वीं में केमेस्ट्री को वैकल्पिक बना दिया है. वहीं, 29 डिप्लोमा और स्नातक पाठ्यक्रमों में से 10 के लिए मैथ्स को वैकल्पिक बनाया गया है. इस फैसले से करीब एक तिहाई इंजीनियरिंग कोर्स में मैथ्स की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी.

समिति की थी गठित

जिन दो अन्य पाठ्यक्रमों में 12वीं कक्षा में ये 2 विषय अनिवार्य नहीं होंगे, उनमें फैशन टेक्नोलॉजी और पैकेजिंग टेक्नोलॉजी शामिल हैं. AICTE के एक सीनियर अफसर ने कहा कि हमने दाखिलों के लिए ये सिफारिशें करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की थी कि किन पाठ्यक्रमों में PCM को वैकल्पिक बनाया जा सकता है.

पीएम केयर्स के तहत सीट आरक्षित

उन्होंने कहा कि समिति की सिफारिशों के आधार पर 3 पाठ्यक्रमों का चयन किया गया है. AICTE ने कोविड-19  के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए आगामी अकादमिक सत्र 2022-23 से हर एक पाठ्यक्रम में 2 अतिरिक्त सीटों को ‘पीएम केयर्स’  योजना के तहत आरक्षित करने का भी फैसला किया है.

12वीं में नहीं होगी अनिवार्यता

इस फैसले से आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम   में दाखिले के लिए कक्षा 12वीं में AICTE की पढ़ाई की अनिवार्यता नहीं रहेगी. हालांकि, फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के अलावा, जो विषय तीनों पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्र हैं, उनमें कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी, जीव विज्ञान, इंफोर्मेटिक्स प्रैक्टिस, जैव प्रौद्योगिकी, तकनीकी व्यावसायिक विषय, कृषि, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, व्यावसायिक अध्ययन और उद्यमिता आदि शामिल हैं.

सर्टिफिकेट जरूरी

वहीं, ऐसे बच्चे जिन्हें ‘पीएम केयर्स सर्टिफिकेट’ जारी किया गया है, वे सुपरन्यूमेरी कोटा के तहत पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्रवेश के लिए पात्र होंगे. यह योजना 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को कवर करती है, जिन्होंने तीन मार्च, 2020 से 28 फरवरी 2022 के बीच कोविड-19 के कारण कानूनी अभिभावकों को खो दिया था.

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