अडानी कोल प्रोजेक्ट पर आदिवासी उबाल: हजारों ग्रामीणों का धरमजयगढ़ कलेक्ट्रेट के बाहर रातभर प्रदर्शन

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रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित अडानी समूह की कोयला खनन परियोजना के विरोध में हजारों आदिवासी ग्रामीणों ने जोरदार प्रदर्शन किया। जन सुनवाई रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी पिछले 24 घंटे से अधिक समय से कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर डटे हुए हैं।

पुरुंगा गांव के आसपास प्रस्तावित कोयला ब्लॉक को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना उनके जल, जंगल और जमीन के अस्तित्व के लिए खतरा है। गुरुवार रात ठंडी हवाओं के बीच पुरुषों के साथ महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे तक खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे रहे।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर 11 नवंबर को जन सुनवाई कराई गई तो वे किसी भी अधिकारी को गांव में प्रवेश नहीं करने देंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन ने अब तक पर्यावरणीय और आजीविका से जुड़ी उनकी चिंताओं का कोई समाधान नहीं किया है।

धरमजयगढ़ क्षेत्र के विधायक चनेश राम राठिया ने इसे आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा आदिवासी आंदोलन बताया। उन्होंने कहा कि यह विरोध सिर्फ किसी प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा के लिए है।

वहीं, रायगढ़ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि जन सुनवाई राज्य पर्यावरण मंडल के निर्देशों के तहत आयोजित की जा रही है ताकि सभी पक्षों की राय एक ही मंच पर रखी जा सके।

इस बीच, प्रशासन ने कलेक्ट्रेट और आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल की तैनाती की है। हसदेव-रायगढ़ वन क्षेत्र, जो पहले से ही खनन प्रदूषण और मानव-हाथी संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, अब औद्योगिक विस्तार और आदिवासी अधिकारों के बीच नए टकराव का मैदान बन गया है।

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