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NV News:- छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा और भरोसेमंद सरकारी अस्पताल माना जाने वाला डॉ. भीमराव आंबेडकर मेमोरियल अस्पताल एक बार फिर अपनी अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल दी है।
तस्वीर में एक मरीज, जिसके शरीर में यूरिन पाइप लगी हुई है, अस्पताल परिसर में अपने हाथों से यूरिन बैग और दवाइयों का थैला उठाए अकेला खड़ा नजर आ रहा है। उसके साथ न कोई वार्ड बॉय है, न स्ट्रेचर, न व्हीलचेयर और न ही कोई सहायक।
यह दृश्य केवल एक मरीज की मजबूरी नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य सिस्टम की बदहाली को उजागर करता है।
दावे बड़े, लेकिन हालात बदतर
डॉ. आंबेडकर अस्पताल में प्रतिदिन तीन हजार से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं और सैकड़ों मरीज भर्ती किए जाते हैं। इसके बावजूद अस्पताल में न तो पर्याप्त स्ट्रेचर और व्हीलचेयर हैं, न ही पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ, वार्ड-बॉय और अटेंडेंट। जो सुविधाएं हैं भी, वे या तो खराब रहती हैं या फिर मरीजों के परिजनों को खुद खींचते देखा जाता है।
प्रशासनिक दावों पर सवाल
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन तस्वीरें और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं। अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है, जिससे मरीजों को अपमानजनक और असहाय परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
जनता का सवाल — आखिर कब सुधरेगा सिस्टम?
इस तरह की घटनाएं न सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविकता को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि मुफ्त इलाज के दावे कितने खोखले हैं।