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N.V न्यूज़ मुंगेली :- 9 अगस्त को पूरी दुनिया विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाती है। आदिवासियों के विकास, शिक्षा, जागरूकता और संवर्धन के लिए विश्व स्तर पर अनेक योजनाएं और कार्यक्रम चलाया जा रहे हैं। भारत में आदिवासियों बहुत बड़ी संख्या में रहते है, उनके विकास के लिए नेशनल और राज्य स्तर विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। प्रशासन के अलावा अन्य कई एनजीओ है जो आदिवासियों के बीच पहुंचकर जन जागरूकता के साथ-सथ जरूरी सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। और उनके उत्थान में योगदान कर रहे हैं।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर ‘अ स्माल स्टेप फाउंडेशन’ सुदूर अंचलों में पहुंच कर आदिवासियों और बैगा जनजातियों में जन जागरूकता अभियान के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और आमदनी के संबंध में जानकारियां साझा किया। ‘अ स्माल स्टेप फाउंडेशन‘ पिछले 5 वर्षों से लगातार ग्रामीण अंचलों खासकर वन अंचलों में जाकर लोगों में शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और स्कूली बच्चों जरूरी सामग्री वितरित करना जैसे सेवा देते आ रहे हैं।
9 अगस्त को कबीरधाम जिले के अंतिम छोर ग्राम टांडी में जन जागरूकता अभियान के तहत पहुंचकर लोगों को जागरूक एवं आय में वृद्धि के तरीके बताया गया। ‘अ स्माल स्टेप फाउंडेशन’ के फाउंडर रामकिंकर सिंह परिहार ने आदिवासियों और बैगा जनजातियों के लोगों को बताया की महुआ सिर्फ शराब बनाने के लिए ही उपयोग में नहीं आता बल्कि इसके अलावा और भी बहुत से विधि है जिसके तहत लाखों की आमदनी करी जा सकती है।
परिहार ने बताया कि महुआ के खेती करने से प्रति एकड़ डेढ़ लाख से ज्यादा की आमदनी प्राप्त की जा सकती है। लेकिन जब हम पट्टे के लिए पेड़ों को काट देंगे तो ना आमदनी का जरिया होगा और ना ही हमारे प्रकृति के लिए अनुकूल।
महुआ से कई प्रकार की खाद्य सामग्री बनाया जा सकता है। विदेशों में महुआ से अलग-अलग खाद्य पदार्थ बना कर लोग लाखों रुपए कमा रहे हैं, हम भी सोच में परिवर्तन कर हजारों, लाखों रुपए कमा सकते हैं।