छत्तीसगढ़ के बस्तर में UFO से आए थे एलियन, नासा ने की थी पुष्टि

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NV News:-     अखंड ब्रह्मांड में पृथ्वी  के अलावा किसी ग्रह पर जीवन की संभावनाओं से जुड़ी अवधारणा ने हमेशा से इंसानों को आकर्षित किया है।

यही वजह है कि किसी दूसरे ग्रह से अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट यानी UFO के जरिये पृथ्वी पर आए जीवों यानी एलियंस को लेकर कई फिल्में बनीं सफल भी रहीं. हॉलीवुड की एराइवल, एलियंस, ईटी, इंडीपेंडेंस डे, पिच ब्लैक, डिस्ट्रक्ट-9, मैन इन ब्लैक, प्रिडेटर तो हिंदी में कृष श्रंखला इसकी बानगी मात्र हैं. खगोलशास्त्रियों से लेकर आम लोगों तक में एलियंस  उन्हें पृथ्वी पर लाने वाले यूएफओ को लेकर क्रेज सिर चढ़ कर बोलता है. यूएफओ को लेकर तमाम भ्रांतियां भी किसी सत्य की तरह प्रचलित हैं. लाखों अमेरिकियों समेत दुनिया के एक बड़े तबके का मानना है कि नवादा के डिस्ट्रक्ट-51  में एलियन उसे पृथ्वी पर लाने वाले यूएफओ को छिपा रखा गया है. इस क्रेज को देखते हुए ही दुनिया भर में 2 जुलाई को वर्ल्ड यूएफओ डे मनाया जाता है, जो पहली बार 2001 में मनाया गया था।

छत्तीसगढ़ के बस्तर में यूएफओ एलियंस की पुष्टि
अगर भारत की बात करें तो हिमालय के क्षेत्र उड़न तश्तरी देखे जाने की सैकड़ों घटनाओं का दावा किया गया. हालांकि भौतिक स्तर पर इसके कोई प्रमाण नहीं मिले, लेकिन छत्तीसगढ़ की एक गुफा में मिले शैलचित्र उड़न तश्तरी यानी यूएफओ एलियंस के अस्तित्व पर गंभीरता से सोचने को मजबूर करते हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक गुफा में जो शैलचित्र मिले हैं, वह 10 हजार साल पुराने बताए जाते हैं. इन शैलचित्रों में एक चित्र यूएफओ का भी है. 2014 में नासा भारतीय आर्कियोलॉजिकल सर्वे की इस खोज ने भारत में एलियंस के आने की पुष्टि सरीखी कर दी है. इस शैलचित्र में एक हेल्मेट पहने एक बड़े सिर वाली आकृति छड़ी की मदद से इंसान को कुछ समझाती दिख रही है. इसके बाद वैज्ञानिक भी कहने लगे हैं कि यह 10 हजार साल पुराने शैल चित्र बताते हैं कि भारत के इस हिस्से में एलियंस आए थे, जो तकनीकी विज्ञान के मामले में पृथ्वीवासियों से कम से कम 10 हजार वर्ष आगे हैं. सिर्फ बस्तर ही नहीं गुजरात के जामनगर, लद्दाख अरुणाचल प्रदेश में भी यूएफओ देखे जाने की घटनाओं का जिक्र लोगों ने किया. ऐसे में वर्ल्ड यूएफओ डे दुनिया भर के उन लोगों को एक साथ आने यूएफओ-एलियंस पर चर्चा करने सबूत साझा करने का मौका देता है, जो इस यूएफओ-एलियंस की अवधारणा पर यकीन करते हैं.

इसलिए 2 जुलाई को मनाते हैं वर्ल्ड यूएफओ डे
आधुनिक इतिहास में यूएफओ से जुड़ा पहला दावा बीसवीं सदी की शुरुआत में एविएटर कैनेथ अर्नाल्ड ने किया था. उन्होंने वॉशिंगटन के ऊपर प्लेटनुमा आकार में उड़नतश्तरी को देखने का दावा किया था. उन्होंने इतने पुख्तापन से दावा किया था कि फिल्मों से लेकर किताबों तक प्लेटनुमा उड़न तश्तरी का फोटो इसका पर्याय बन गया. यही वजह है कि कुछ लोग 24 जुलाई को भी यूएफओ-डे मनाते हैं. हालांकि 2 जुलाई 1947 को न्यू मैक्सिको के रोजवैल में एक यूएफओ के हादसे का शिकार होने का दावा किया गया. यह दावा ऐसे समय सामने आया जब अमेरिकी वायुसेना एक गुप्त परियोजना को अंजाम दे रही थी. उड़न तश्तरी के दुर्घटनाग्रस्त होने के गवाह विलियम ब्रेजल ने दावा किया था यूएफओ का मलबा रबर स्ट्रिप्स टिनफॉयल से बना था. ऐसे में 2 जुलाई को वर्ल्ड यूएफओ-डे मनाने का फैसला किया गया. इस खास दिवस को मनाने का मकसद यूएफओ में दिलचस्पी रखने वाले सभी लोगों को साथ लाना है, जो यूएफओ के सबूत इकट्ठा कर सकें अलौकिक प्राणियों की मौजूदगी के सिद्धांत का समर्थन करते हों.

बराक ओबामा ने भी किया था यूएफओ देखने का दावा
अमेरिका में तो ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं हैं, जिन्होंने यूएफओ देखने का दावा किया है. यह अलग बात है कि यूएफओ की पुष्टि कभी आधिकारिक तौर पर नहीं हुई. उलटे ऐसी घटनाओं को भ्रम वहम जरूर करार दिया गया. यह अलग बात है कि इस भ्रम वहम को भुनाती फिल्में जरूर बनने लगीं, जिन्होंने दुनिया भर में बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त कमाई की. हालांकि यूएफओ को लेकर अब वैज्ञानिक स्तर पर भी सोच बदल रही है. गौरतलब है कि पिछले महीने ही नासा ने फैसला किया है कि वह यूएफओ की जांच-पड़ताल के लिए एक अलग से टीम बनाएगा. यही नहीं, मई के महीने में अमेरिकी कांग्रेस ने यूएफओ को लेकर जनसुनवाई की थी, जबकि एक अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने पिछले साल 144 ऐसी घटनाओं का लेखा-जोखा रखा जिसमें यूएफओ को देखे जाने का संदेह था उनकी व्याख्या नहीं हो सकी थी. जाहिर है ऐसा पहली बार हो रहा है जब अमेरिकी सरकार नासा जैसी बड़ी वैज्ञानिक संस्था खुल कर यूएफओ का जिक्र कर रही है उन्हें गंभीरता से ले रही है. इनके अलावा यह जानकर भी अचंभा होगा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक टीवी शो में यूएफओ देखने का दावा किया था.

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