पति से जानकारी छुपाना मानसिक क्रूरता: हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज की
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक से जुड़े एक संवेदनशील मामले में फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील खारिज कर दी है। अदालत ने माना कि विवाह से पहले 10 साल से चली आ रही स्वास्थ्य समस्या को छिपाना पति के प्रति मानसिक क्रूरता के समान है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने की।
10 साल से पीरियड्स न आने की बात छुपाई थी
मामले में पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने माहवारी न आने (एमेनोरिया) की बीमारी शादी से पहले जानबूझकर छुपाई थी। शादी के कुछ समय बाद जब पत्नी ने बताया कि उसकी माहवारी बंद है, तब वह उसे डॉक्टर के पास ले गया। जांच में सामने आया कि यह समस्या पिछले 10 वर्षों से चल रही है और गर्भधारण में भी गंभीर परेशानी है।
पति ने कोर्ट से कहा कि यह तथ्य यदि पहले बताया जाता, वह विवाह का निर्णय अलग तरीके से ले सकता था। वहीं पत्नी ने दावा किया कि अगर यह बात पहले बताती, तो उसकी शादी टूट सकती थी, इसलिए उसने यह राज़ छुपाया।
शादी के बाद बढ़े विवाद, दोनों ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप
कबीरधाम जिले के इस दंपती ने 5 जून 2015 को हिंदू रीति से शादी की थी। शुरू के दो महीने सब सामान्य रहा, लेकिन बाद में संबंध बिगड़ने लगे।
पति का आरोप: पत्नी ने घर के बुजुर्ग और बच्चों की देखभाल से इंकार किया।
पत्नी का आरोप: शादी के बाद नौकरानी को हटाकर सारे घरेलू काम उससे करवाए गए। उसे बांझ कहकर प्रताड़ित किया गया।
2016 से अलग रह रहे हैं पति-पत्नी
कोर्ट ने पाया कि दंपती वर्ष 2016 से ही अलग रह रहे हैं और रिश्ते में सुधार की कोई संभावना नहीं है। मेडिकल दस्तावेजों के अनुसार पत्नी का उपचार तो जारी था, लेकिन यह प्रमाणित नहीं हुआ कि वह पूरी तरह ठीक थी।
बेंच ने कहा कि दोनों के बीच विवाद इतने गहरे हैं कि वैवाहिक जीवन सामान्य रूप नहीं ले सकता। इसलिए तलाक को उचित ठहराया गया।
पत्नी को मिलेगा 5 लाख रुपये का स्थायी भरण-पोषण
महिला की आर्थिक स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने 5 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण तय किया है।
पति को चार महीने के भीतर यह राशि अदा करने का आदेश दिया गया है।
