रायगढ़ में अवैध धान परिवहन पर बड़ी कार्रवाई: 12 प्रकरणों में 4447 क्विंटल धान जब्त, ओडिशा लिंक का खुलासा
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रायगढ़ | राज्य सरकार द्वारा किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है। इसी का फायदा उठाकर कोचिया और बिचौलिए ओडिशा से अवैध धान लाकर बेचने की कोशिश कर रहे थे। इस पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी जिलों के कलेक्टरों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि “वास्तविक किसानों के हितों से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
12 मामलों में 4447.20 क्विंटल धान जब्त
रायगढ़ जिला प्रशासन ने 30 नवंबर और 1 दिसंबर को विशेष अभियान चलाते हुए धान के अवैध परिवहन और भंडारण पर बड़ी कार्रवाई की। दो दिनों में 12 प्रकरणों में कुल 4447.20 क्विंटल से अधिक धान जब्त किया गया है, जिसमें तीन अंतर्राज्यीय मामले भी शामिल हैं। जब्त धान की कीमत 1 करोड़ 37 लाख 86 हजार रुपए से अधिक आंकी गई है।
यह कार्रवाई खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के दौरान बाहरी राज्यों से आने वाले धान पर रोक लगाने और स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा के लिए की गई है।
ओडिशा से तस्करी के तीन मामले दर्ज
अपर कलेक्टर एवं जिला धान खरीदी नोडल अधिकारी ने बताया कि लैलूंगा के ग्राम किलकिला में ओडिशा का 60 क्विंटल धान पकड़ा गया।
इसके अलावा—
पिकअप CG 06 GU 8036 में 25.60 क्विंटल
वाहन CG 13 AR 4467 में 20 क्विंटल
अवैध धान जब्त किया गया।
सभी पर अंतर्राज्यीय धान परिवहन का मामला दर्ज किया गया है।
आंतरिक भंडारण पर भी कड़ी कार्रवाई
संयुक्त जांच दलों ने जिले के विभिन्न विकासखंडों में गोदामों पर छापे मारकर बड़ी मात्रा में धान जब्त किया। प्रमुख जब्ती—
बजरंग अग्रवाल — 840 क्विंटल
त्रिलोक गर्ग — 640 क्विंटल
दीपक जिंदल — 820 क्विंटल
रजत ट्रेडर्स — 630 क्विंटल
लाभो दास महंत — 1200 क्विंटल
सभी पर कृषि उपज मंडी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
अब तक कुल 12,454 क्विंटल धान जब्त
जिले में अब तक हुई कार्रवाई में 68 मामलों में कुल 12,454 क्विंटल धान जब्त किया जा चुका है, जिसकी बाजार कीमत 3 करोड़ 86 लाख रुपए से अधिक है।
प्रशासन ने ओडिशा सीमा से सटे इलाकों में 25 चेकपोस्टों पर 24×7 निगरानी शुरू कर दी है। जंगलों के वैकल्पिक मार्गों को भी सील कर दिया गया है। विशेष टीमें लगातार फील्ड में सक्रिय हैं।
इन कार्रवाइयों के बाद अवैध धान व्यापारियों के हौसले कमजोर पड़े हैं और समर्थन मूल्य पर खरीदी व्यवस्था और अधिक पारदर्शी बन रही है।
