छत्तीसगढ़ में धान खरीदी अव्यवस्था पर किसानों का फूटा गुस्सा: टोकन संकट, वसूली के आरोप पर सियासत तेज

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का सीजन जारी है, लेकिन कई जिलों में किसानों को अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है। कहीं ऑनलाइन टोकन न मिलने से किसान परेशान हैं, तो कहीं एक दिन में खरीदी की तय लिमिट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसी बीच, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर धान खरीदी केंद्रों पर हो रही समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है और हमाली के नाम पर अवैध वसूली का आरोप लगाया है। भाजपा ने इन आरोपों को राजनीति प्रेरित बताया है।

बलरामपुर समेत कई जिलों में नाराज किसान सड़कों पर उतर आए हैं। पहले सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल से खरीदी की गति प्रभावित हुई, और अब हड़ताल खत्म होने के बाद भी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

ऑनलाइन टोकन कुछ मिनटों में खत्म — किसान परेशान

कई किसानों ने बताया कि ज्वाइंट अकाउंट (संयुक्त खाता) होने के कारण सिर्फ एक ही बार टोकन मिलता है, जिससे धान बेचने में दिक्कत हो रही है। दूसरी ओर, ऑनलाइन टोकन कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में कमजोर मोबाइल नेटवर्क टोकन पाने में बड़ी बाधा साबित हो रहा है।

 

खरीदी लिमिट कम — टाइम पर नहीं बेच पाते धान

धान खरीदी केंद्रों में प्रतिदिन की लिमिट कम होने से किसान एक दिन में पूरा धान नहीं बेच पा रहे। कई किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ जगहों पर भुगतान सप्ताहों बीत जाने के बाद भी नहीं मिला है।

 

अवैध वसूली के आरोप — ‘बोरे या हमाली का पैसा दो’

नेता प्रतिपक्ष महंत ने आरोप लगाया कि धान खरीदी केंद्रों में किसानों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे या तो सोसाइटी के बोरे इस्तेमाल करें, या हमालों को नकद भुगतान करें—जो 7.50 रुपये प्रति क्विंटल बताया जा रहा है। उनका कहना है कि यह वसूली नई सरकार आने के बाद तेज हुई है, जबकि केंद्र सरकार प्रति क्विंटल 22.05 रुपये इस काम के लिए राज्य एजेंसी को देती है।

 

मंत्री का बयान — ‘नया कुछ नहीं, पुरानी व्यवस्था’

कैबिनेट मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा कि किसान अपनी बोरी में धान लाते हैं और पलटी का पैसा देना पुरानी व्यवस्था है, इसमें नया कुछ नहीं।

 

25 लाख से अधिक किसान पंजीकृत

इस खरीफ वर्ष में 25 लाख से ज्यादा किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। राज्य सरकार ने 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े आंकड़े को देखते हुए धान खरीदी व्यवस्था को अभी से सुदृढ़ किया जाना जरूरी है, ताकि किसानों को निराश न होना पड़े।

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