आदिवासी आश्रमों की दयनीय हालत उजागर: बच्चे ज़मीन पर भोजन करने और बीड़ी–सिगरेट पीते दिखे, जांच टीम गठित

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कवर्धा। छत्तीसगढ़ के आदिवासी आश्रमों की दयनीय स्थिति एक बार फिर सुर्खियों में है। कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लॉक से सामने आई ताज़ा तस्वीरों ने आश्रम प्रबंधन की घोर लापरवाही और बच्चों की उपेक्षा को उजागर कर दिया है।

पंडरीपानी स्थित आदिवासी बालक आश्रम में बच्चों को फर्श पर बैठकर भोजन करते हुए देखा गया। इसके साथ ही आश्रम परिसर में कई बच्चे बीड़ी और सिगरेट पीते हुए भी मिले, जिसने पूरा मामला और गंभीर बना दिया है।

तस्वीरों में बच्चे फर्श पर खाना खाते, ताश खेलते और बिना किसी अनुशासन के इधर–उधर घूमते दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आश्रम अधीक्षक लंबे समय से अनुपस्थित रहते हैं, जिससे प्रबंधन पूरी तरह अव्यवस्थित हो गया है।

एक ग्रामीण ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा—

“भोजन की व्यवस्था, अनुशासन और बच्चों की दिनचर्या पर कोई निगरानी नहीं है। सरकार आदिवासी बच्चों के भविष्य पर लाखों रुपये खर्च करती है, लेकिन आश्रमों की स्थितियां देखने लायक नहीं हैं।”

मामले का संज्ञान लेते हुए आदिवासी कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त लक्ष्मीचंद पटेल ने इस घटना को बेहद गंभीर बताया। उन्होंने कहा—

बच्चों की सुरक्षा और भविष्य से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है।

पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना के प्रकाश में आने के बाद प्रशासन की भूमिका और आश्रमों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आश्रमों की नियमित जांच और निरीक्षण अनिवार्य किया जाए।

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