Raipur breaking: ड्यूटी के दौरान धमकाया, BLO रो पड़ी, वीडियो सुर्खियों में…NV News

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Raipur breaking: राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में मतदाता विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे शहर के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों को हिला कर रख दिया है। सरकारी ड्यूटी के तहत घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन कर रही एक महिला BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) को भाजपा पार्षद अंबर अग्रवाल द्वारा कथित रूप से धमकाए जाने का मामला सामने आया है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें पार्षद का आक्रामक रवैया साफ दिखाई देता है और वहीं पास में खड़ी महिला BLO डर और दबाव की वजह से रो पड़ती है।

यह पूरा मामला न सिर्फ प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालने का गंभीर उदाहरण है, बल्कि सरकारी महिला कर्मचारी को मानसिक प्रताड़ना पहुंचाने के आरोपों के चलते और भी संवेदनशील हो गया है। वायरल वीडियो में पार्षद द्वारा BLO और उनके साथ मौजूद टीम को सख्त लहजे में समझाते और चेतावनी देते देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि, पार्षद ने कांग्रेस प्रतिनिधियों को BLO के साथ जाने पर आपत्ति जताई और इसको लेकर मौके पर जोरदार विवाद की स्थिति बन गई।

स्थानीय लोगों के अनुसार, BLO अपनी नियमित ड्यूटी निभा रही थीं। मतदाता सत्यापन के लिए वह टीम के साथ क्षेत्र में पहुंचीं, तभी पार्षद अंबर अग्रवाल ने कथित रूप से उनपर दबाव बनाना शुरू कर दिया। तनाव इतना बढ़ गया कि, सरकारी कर्मचारी डर के कारण फूट-फूटकर रो पड़ीं। उनके व्यवहार से क्षेत्र का माहौल तनावपूर्ण हो गया और आसपास मौजूद लोग भी हैरान रह गए।

घटना सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। कांग्रेस के छाया पार्षद बंशी कन्नौजे ने इसे बेहद शर्मनाक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, “एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि द्वारा सरकारी कर्मचारी को इस तरह धमकाना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। वीडियो में सबकुछ साफ दिख रहा है-कैसे एक महिला BLO को डराया गया, अपमानित किया गया और अंततः वह रोने पर मजबूर हो गईं। यह सीधे-सीधे सरकारी कार्य में बाधा डालने का अपराध है।”

कन्नौजे ने आगे कहा कि, कांग्रेस पार्टी ऐसे “अमानवीय व्यवहार” को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने तत्काल FIR दर्ज करने की मांग की है और चुनाव आयोग से भी हस्तक्षेप की अपील की है। उनका कहना है कि, अगर समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो जनप्रतिनिधि अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते रहेंगे और सरकारी कर्मचारी लगातार भय के वातावरण में काम करने को मजबूर होंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि, चुनाव आयोग को न केवल इस मामले में सख्त निर्णय लेना चाहिए, बल्कि पूरे अभियान के दौरान BLO और उनकी टीमों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि, मतदाता सूची के सत्यापन जैसे संवेदनशील कार्यों के दौरान स्थानीय राजनीतिक दबाव और तनाव बढ़ते हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन का दायित्व बनता है कि, वे फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा और सहयोग उपलब्ध कराएं, ताकि वे बिना किसी भय और दबाव के अपना काम कर सकें।

वहीं, सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कई यूज़र्स ने इसे प्रशासनिक कर्मचारियों पर बढ़ते राजनीतिक दबाव का उदाहरण बताया है और महिला कर्मचारियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। कुछ लोगों ने तो वीडियो के आधार पर ही पार्षद के खिलाफ तुरंत निलंबन या कार्रवाई की बात कही है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि, सरकारी नौकरशाही पर बढ़ते राजनीतिक दखल को कैसे रोका जाए। मतदाता सत्यापन जैसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में इस तरह के विवाद न केवल प्रशासनिक शुचिता को प्रभावित करते हैं, बल्कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी सीधा असर डालते हैं।

फिलहाल, स्थानीय प्रशासन वीडियो की जांच में जुटा हुआ है और जिला निर्वाचन कार्यालय ने भी रिपोर्ट मांगी है। अब देखना यह है कि, इस विवाद का परिणाम क्या होता है और क्या वास्तव में भाजपा पार्षद के खिलाफ FIR दर्ज होती है या नहीं। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि, इस घटना ने प्रशासनिक सुरक्षा और राजनीतिक मर्यादाओं पर गंभीर बहस को जन्म दे दिया है।

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