CG Transport Department: ड्राइविंग टेस्ट होगा हाई-टेक! AI ई-ट्रैक से होगी निगरानी…NV News

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रायपुर/(CG Transport Department): छत्तीसगढ़ में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया अब एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। राज्य सरकार परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। रायपुर में अत्याधुनिक ई-ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक तैयार करने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह नया ट्रैक न सिर्फ तकनीक से लैस होगा, बल्कि ड्राइविंग टेस्ट को और अधिक निष्पक्ष और भरोसेमंद भी बनाएगा।

रायपुर के बीरगांव स्थित ड्राइविंग संस्थान और यातायात अनुसंधान केंद्र आने वाले महीनों में हाई-टेक सुविधाओं से सुसज्जित नजर आएगा। परिवहन विभाग ने घोषणा की है कि, यहाँ बनाया जा रहा ई-ट्रैक पूरी तरह ऑटोमेटेड होगा, जहां AI कैमरे और सेंसर तकनीक हर गतिविधि पर नज़र रखेंगे। यह सिस्टम वाहन चलाने की क्षमता को उसी समय रिकॉर्ड करेगा-बिल्कुल बिना किसी मानव हस्तक्षेप के।

नए ई-ट्रैक पर वाहन नियंत्रित रखने की क्षमता, लेन अनुशासन, गति सीमा का पालन, सिग्नल की समझ और मुश्किल मोड़ों पर वाहन संचालन-इन सभी पहलुओं को सेंसर स्वयं मापेंगे। किसी अधिकारी के निर्णय पर निर्भर रहने के बजाय अब तकनीक तय करेगी कि, उम्मीदवार टेस्ट पास करने योग्य है या नहीं।

रायपुर के अलावा राज्य के सात अन्य जिलों-दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ और कोरबा में भी इसी तरह के ई-ट्रैक स्थापित किए जाएंगे। इन सभी जिलों में निर्माण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। यानी आने वाले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ उन चुनिंदा राज्यों की सूची में शामिल होगा जहां ड्राइविंग टेस्ट पूरी तरह डिजिटल मोड में लिया जाएगा।

परिवहन विभाग का मानना है कि, इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ सड़क सुरक्षा पर पड़ेगा। दरअसल, पारंपरिक ड्राइविंग टेस्ट में कई बार ऐसे लोग भी पास हो जाते थे जो वाहन सही तरह से संभाल नहीं पाते। लेकिन सेंसर-आधारित सिस्टम में हर छोटी-बड़ी त्रुटि को मशीन रिकॉर्ड करेगी, जिससे केवल वही लोग लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे जिनके पास वास्तविक कौशल होगा। विभाग के अनुसार, प्रशिक्षित और योग्य ड्राइवरों की संख्या बढ़ेगी, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आने की उम्मीद है।

टेस्ट के दौरान उम्मीदवारों को एल-शेप, एच-शेप, ब्रेक टेस्ट, स्लोप और अन्य ट्रैक परीक्षणों से गुजरना होगा। पहले यह परीक्षण परिवहन अधिकारियों की निगरानी में किए जाते थे, जिसके कारण कभी-कभी पक्षपात या अनियमितताओं की शिकायतें भी सामने आती थीं। लेकिन ई-ट्रैक लागू होने के बाद यह पूरी प्रक्रिया मशीनों के नियंत्रण में रहेगी, जिससे भ्रष्टाचार और भेदभाव की संभावनाएँ लगभग समाप्त हो जाएँगी।

लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया भी अब अधिक सरल और सुविधा-जनक होने जा रही है। इच्छुक लोग ऑनलाइन आवेदन कर अपने परीक्षण की तिथि चुन सकेंगे। निर्धारित दिन पर ई-ट्रैक पर टेस्ट देते समय उनके प्रदर्शन को सेंसर सीधे डिजिटल पोर्टल पर भेज देंगे। टेस्ट पूरा होने के बाद आवेदक को सिस्टम के माध्यम से तुरंत फीडबैक प्राप्त होगा और योग्य पाए जाने पर डिजिटल लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े होने के कारण न सिर्फ टेस्ट की गति बढ़ेगी, बल्कि डेटा संग्रहण, मॉनिटरिंग और रिकॉर्ड की पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। यह बदलाव उन उम्मीदवारों के लिए बड़ा राहत साबित होगा जो अब तक लाइसेंस प्रक्रिया में देरी, अतिरिक्त चक्कर लगाने और अनावश्यक मानव हस्तक्षेप से परेशान रहते थे।

परिवहन विभाग के सचिव एस. प्रकाश के अनुसार, “ई-ट्रैक की स्थापना सिर्फ एक तकनीकी परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह राज्य की लाइसेंस प्रणाली को अधिक विश्वसनीय, आधुनिक और निष्पक्ष बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। निविदा प्रक्रिया जारी है और जल्द ही नए ई-ट्रैक पर टेस्ट शुरू किए जाएंगे।”

समग्र रूप से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में ड्राइविंग टेस्ट को डिजिटल स्वरूप देने का यह कदम न सिर्फ लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि सड़क सुरक्षा के मानकों को भी मजबूत करेगा। आधुनिक तकनीक से लैस यह व्यवस्था उम्मीदवार को सही कौशल के आधार पर लाइसेंस दिलाने में मदद करेगी-यानी अब लाइसेंस योग्यता से मिलेगा, न कि किसी सिफारिश या मानवीय निर्णय पर निर्भर होकर।

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