हाईकोर्ट का बड़ा फैसला — राज्य सरकार को मिली जमीन वापस लेने की मंजूरी, याचिकाकर्ताओं पर पट्टे के दुरुपयोग का आरोप साबित
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने क्रिश्चियन वुमन्स बोर्ड ऑफ मिशन और अन्य याचिकाकर्ताओं को बड़ा झटका देते हुए राज्य सरकार को बिलासपुर में पट्टे पर दी गई जमीन वापस लेने का अधिकार बरकरार रखा है। कोर्ट ने यह माना कि याचिकाकर्ताओं ने पट्टे की शर्तों का गंभीर उल्लंघन किया है और भूमि का उपयोग धर्मार्थ उद्देश्यों के बजाय निजी लाभ के लिए किया गया।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य अधिकारियों द्वारा पट्टे के नवीनीकरण से इनकार करने और संपत्ति पर कब्ज़ा वापस लेने की कार्रवाई पूरी तरह से वैध और उनके अधिकार क्षेत्र के अनुरूप है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में ऐसा कोई आधार नहीं है जिस पर संविधान के अनुच्छेद 226 या 227 के तहत हस्तक्षेप किया जा सके।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि वे एक सदी से अधिक समय से धार्मिक, शैक्षिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए भूमि का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने पाया कि उन्होंने वैधानिक दायित्वों का उल्लंघन किया, तथ्यों को छिपाया और पट्टे की शर्तों का पालन नहीं किया। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पट्टे का नवीनीकरण कोई स्वचालित प्रक्रिया नहीं है, यह सरकार का विवेकाधीन निर्णय है, जो पट्टे की शर्तों के पालन और धर्मार्थ उद्देश्य की निरंतरता पर निर्भर करता है।
मिली जानकारी के अनुसार, पट्टे की भूमि का एक बड़ा हिस्सा चौपाटी, गैरेज और बाज़ार के रूप में निजी लाभ हेतु उपयोग या बेचा गया था, जो मूल उद्देश्यों के विरुद्ध था।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं द्वारा छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 158(3) के तहत भू-स्वामी अधिकार का दावा करने की दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दी गई नजूल भूमि पर लागू नहीं होता।
याचिकाकर्ताओं के पास संपत्ति पर दावा करने का कोई वैध कानूनी अधिकार या हस्तांतरण दस्तावेज़ नहीं होने के कारण उनकी locus standi (मुकदमा दायर करने की पात्रता) भी अस्वीकार कर दी गई।
अंत में, हाईकोर्ट ने एकल न्यायाधीश के पूर्व फैसले को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की कार्रवाई को सही ठहराया।
