CG Rajyautsav 2025:नई छत, नई उम्मीदें-‘राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र’ कृष्णा समेत पांच को मिला पक्का घर…NV News
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रायपुर/(CG Rajyautsav 2025): छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के मंच पर जब पीएम नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पांच लाभार्थियों को घर की चाबी सौंपी, तो तालियों की गूंज के बीच सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया ‘राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र’ कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा समुदाय के दृष्टिहीन कृष्णा ने। जंगलों में झोपड़ी या मचान में जिंदगी गुजारने वाले कृष्णा अब लेंटर वाले पक्के घर के मालिक बन गए हैं।
कृष्णा ने बताया कि पहले कच्चे घर में बरसात के दिनों में कीचड़ और पानी से मुश्किलें बढ़ जाती थीं। परिवार को बीमारियों और फिसलने के डर से जूझना पड़ता था। लेकिन अब पक्के घर के साथ जिंदगी में सुरक्षा और स्थायित्व की नई शुरुआत हुई है। मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे बातचीत कर कहा- “मैं आपके सुख-दुख में साथ हूं।”
पहाड़ी कोरवा उन पाँच जनजातियों में शामिल हैं जिन्हें विशिष्ट असुरक्षित जनजातीय समूह (PVTG) की श्रेणी में रखा गया है। राष्ट्रपति ने इन जनजातियों- बैगा, पहाड़ी कोरवा, कमार, अबूझमाड़िया और बिरहोर- को गोद लिया है, इसलिए इन्हें “राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र” कहा जाता है।
राज्य में राज्योत्सव के अवसर पर 3.51 लाख लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नए घर मिले हैं। इनमें बलरामपुर के कृष्णा के अलावा दंतेवाड़ा की सुनीता बास्केरा, कांकेर की दसनी बाई नरोटी, धमतरी की सोनियाबाई और बीजापुर के संबारू माड़वी शामिल हैं।
सुनीता बास्केरा के लिए यह घर नए जीवन की शुरुआत जैसा है। वर्ष 2009 में माओवादियों ने उनके पति की हत्या कर दी थी। तब सब कुछ उजड़ गया था, लेकिन अब नया घर और मुर्गीपालन का छोटा व्यवसाय उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है।
कांकेर की दसनी बाई नरोटी ने भी माओवादी हिंसा में पति को खो दिया था। कच्चे घर में बिताए कठिन दिनों को याद करते हुए वे कहती हैं, “अब गैस, बिजली और चारदीवारी के साथ डर नहीं, भरोसा है।”
धमतरी की सोनियाबाई बताती हैं कि उनकी बड़ी बेटी ने कच्चे घर में पढ़ाई की, अब छोटे बच्चों को वह मुश्किलें नहीं झेलनी होंगी। वहीं बीजापुर के संबारू माड़वी चार कमरों के नए घर को जीवन का “सबसे बड़ा तोहफा” बताते हैं।
इन पांचों कहानियों में एक साझा बात है,कच्चे घरों की असुरक्षा से पक्के आशियाने की उम्मीद तक का सफर, जो अब छत्तीसगढ़ की नई पहचान बन रहा है।
