रायगढ़ में बाबा गुरु घासीदास के अपमान का मामला, आरोपी पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर, आरोपी फरार – NV News

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Insult to Baba Guru Ghasidas: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ जिले (Raigarh District) के सिग्नल चौक पर एक व्यक्ति द्वारा सतनाम पंथ (Satnaam Panth) के संस्थापक गुरु बाबा गुरु घासीदास(Baba Guru Ghasidas) के प्रति अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि आरोपी व्यक्ति विजय राजपूत (जाति/धर्म सिंधी) ने नशे की हालत में बाबा घासीदास जी को लेकर अशोभनीय और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। इस दौरान घटना का वीडियो भी बनाया गया, जिसमें वीडियो बनाने वाला व्यक्ति आरोपी को लगातार उकसाता हुआ नजर आ रहा है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद पूरे जिले में आक्रोश का माहौल है।

बाबा गुरु घासीदास, जिन्होंने समाज को सत्य, समानता और मानवता का संदेश दिया, उनके प्रति इस तरह की अभद्र टिप्पणी न केवल सतनाम समाज की आस्था को ठेस पहुंचाती है, बल्कि समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता का भी प्रतीक है। यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर समाज किस दिशा में जा रहा है, जहां धार्मिक प्रतीकों और संतों के प्रति अपमानजनक शब्द बोलना कुछ लोगों के लिए “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” बन गया है।

सूत्रों के अनुसार, रायगढ़ पुलिस (Raigarh Police) ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए आरोपी विजय राजपूत के खिलाफ चक्रधर नगर थाना में अपराध क्रमांक 0483/2025 दर्ज किया है। इस प्रकरण में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Atrocities Act) की धारा 3(2)(V) के तहत मामला दर्ज हुआ है। एफआईआर के बाद आरोपी फरार बताया जा रहा है, जिसकी तलाश में पुलिस ने कई संभावित स्थानों पर दबिश दी है।

घटना के बाद से सतनाम समाज और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी रोष व्याप्त है। समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि बाबा घासीदास केवल एक धार्मिक गुरु नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और मानवता के प्रतीक हैं। ऐसे में उनके अपमान को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इसी क्रम में सामाजिक संगठनों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि जब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक रायगढ़ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने निरंतर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति या समाज का नहीं, बल्कि पूरे समाज की आस्था और मर्यादा से जुड़ा हुआ है।

वहीं, नागरिकों और बुद्धिजीवियों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि प्रशासन को ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके। लोगों का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना लोकतंत्र की भावना के विपरीत है।

यह घटना न केवल रायगढ़ बल्कि पूरे प्रदेश के लिए चेतावनी है कि सामाजिक समरसता और धार्मिक सहिष्णुता की रक्षा के लिए अब समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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