CG Bharatmala Scam: करोड़ों की हेराफेरी ,तीन अफसर सलाखों के पीछे…NV News
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रायपुर/(CG Bharatmala Scam): देश की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान हुए मुआवजा घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। इस प्रकरण में तीन लोकसेवकों को एसीबी–ईओडब्ल्यू (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो–आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की टीम ने मंगलवार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज़ तैयार कर शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में तत्कालीन पटवारी दिनेश पटेल (नायकबांधा), लेखराम देवांगन (टोकरो) और बसंती घृतलहरे (भेलवाडीह) शामिल हैं। तीनों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित कई गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि ये कार्रवाई लंबे समय से चल रही जांच और न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद की गई।
घोटाले का समय और तरीका:
जानकारी के मुताबिक, यह पूरा मामला साल 2020 से 2024 के बीच का है। इस दौरान रायपुर–विशाखापट्टनम इकॉनॉमिक कॉरिडोर (भारतमाला परियोजना) के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया जा रहा था। इसी प्रक्रिया में कुछ लोकसेवकों ने निजी व्यक्तियों और भू-माफियाओं से मिलकर मुआवजा वितरण में भारी गड़बड़ी की।
जांच में सामने आया कि इन अधिकारियों ने बैक डेट में जमीनों का बंटवारा और नामांतरण, कूटरचित दस्तावेजों की तैयारी और सरकार द्वारा पहले से अधिग्रहीत भूमि को दोबारा सरकार को ही बेचने जैसी जालसाजी की। इतना ही नहीं, कई मामलों में असल जमीन मालिकों के बजाय अन्य लोगों को मुआवजा दिलाया गया, जिससे करोड़ों रुपए गलत हाथों में चले गए।
शासन को भारी नुकसान:
एसीबी–ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस षड्यंत्र के चलते शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक हानि हुई है। कई जमीनों का गलत तरीके से अधिग्रहण दिखाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में भुगतान लिया गया। इस पूरे नेटवर्क में कई राजस्व अधिकारी, भू-माफिया और निजी एजेंटों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
ब्यूरो ने बताया कि यह मामला पहली बार 2024 में दर्ज किया गया था। जांच के बाद मिली साक्ष्यों के आधार पर अब तक कुल 13 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जिनमें पिछले महीने (13 अक्टूबर 2025) को 10 आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल की गई थी। इनमें दो अन्य लोकसेवक भी शामिल हैं।
कोर्ट के आदेश के बाद हुई गिरफ्तारी:
गौरतलब है कि तीनों आरोपी लोकसेवकों के खिलाफ पहले ही न्यायालय द्वारा वारंट, उद्घोषणा और कुर्की की कार्रवाई की जा चुकी थी। हालांकि, इस दौरान उच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। सोमवार (28 अक्टूबर 2025) को अदालत ने यह रोक हटा दी, जिसके बाद एसीबी–ईओडब्ल्यू की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों को गिरफ्तार कर लिया।
तीनों आरोपियों को मंगलवार, 29 अक्टूबर 2025 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायालय, रायपुर में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अन्य आरोपी अब भी फरार:
ब्यूरो अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में कुछ अन्य आरोपी अब भी फरार हैं। उनकी तलाश में एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। जांच एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में कुछ बड़े नामों का खुलासा हो सकता है, क्योंकि दस्तावेजी साक्ष्य और बैंक लेनदेन की जांच में कई नए कनेक्शन सामने आ रहे हैं।
भारतमाला परियोजना क्या है?:
भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की एक राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना है, जिसके तहत देशभर में इकॉनॉमिक कॉरिडोर, एक्सप्रेसवे और सीमा सड़कें बनाई जा रही हैं। इसका उद्देश्य माल परिवहन को आसान बनाना और औद्योगिक विकास को गति देना है। छत्तीसगढ़ में इसका एक प्रमुख हिस्सा रायपुर–विशाखापट्टनम कॉरिडोर है, जो राज्य के कई जिलों से होकर गुजरता है।
हालांकि, इस परियोजना के भूमि अधिग्रहण चरण में भ्रष्टाचार के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। अब इस ताजा गिरफ्तारी ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था और मुआवजा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
