CGPSC Scam: पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को दी जमानत…NV News
Share this
रायपुर/(CGPSC Scam): छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा घोटाले में एक बड़ा मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के बेटे नितेश सोनवानी, भतीजे साहिल सोनवानी, उद्योगपति शशांक गोयल और उनकी पत्नी भूमिका कटियार को जमानत दे दी है। इस फैसले से CBI को झटका लगा है, जो इस बहुचर्चित मामले की जांच कर रही है।
जानें,क्या है पूरा मामला:
2020 से 2022 के बीच CGPSC की परीक्षाओं में पेपर लीक और हेराफेरी के आरोप सामने आए थे। दावा किया गया कि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव, और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए प्रश्नपत्र लीक कराए। इसके जरिए अपने रिश्तेदारों और परिचितों को परीक्षा में पास करवाया गया।
चयनित उम्मीदवारों को बाद में डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य उच्च पदों पर पदस्थ किया गया। यह वही परीक्षा थी, जिसके जरिए हजारों अभ्यर्थियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी।
CBI की जांच और चौंकाने वाले खुलासे:
फरवरी 2024 में छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पूरे मामले की जांच CBI को सौंपी। जांच एजेंसी ने जुलाई में एफआईआर दर्ज करते हुए 2020-2022 की परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं की जांच शुरू की।CBI ने दावा किया कि टामन सिंह सोनवानी ने अपने भतीजों का चयन सुनिश्चित करने के लिए आयोग के नियमों में हेरफेर की।
CBI के मुताबिक:
• सोनवानी ने भर्ती नियमों में “रिश्तेदार” शब्द को बदलकर “परिवार” कर दिया ताकि उनके बेटे और भतीजे को पात्रता का लाभ मिल सके।
• परीक्षा के प्रश्नपत्र पहले से लीक किए गए और कुछ खास उम्मीदवारों को सौंपे गए।
• जांच में यह भी सामने आया कि पेपर लीक कराने के लिए आर्थिक लेनदेन हुआ था।
इस मामले में बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के निदेशक श्रवण कुमार गोयल का नाम भी आया, जिन पर आरोप है कि उन्होंने 45 लाख रुपये का भुगतान एक NGO “ग्राम विकास समिति” के जरिए कराया था, जो कथित तौर पर पेपर लीक में शामिल लोगों तक पहुंचा।
गिरफ्तारी और जेल:
CBI ने टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव, उप नियंत्रक परीक्षा ललित गणवीर, निशा कोसले, दीपा आदिल, सुमित ध्रुव, श्रवण गोयल, शशांक गोयल और भूमिका कटियार समेत दर्जनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था।सभी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के तहत मुकदमे दर्ज किए गए।
सुप्रीम कोर्ट से राहत:
लंबे समय तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों नितेश सोनवानी, साहिल सोनवानी, शशांक गोयल और भूमिका कटियार को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि फिलहाल जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल हो गई है, इसलिए इन्हें हिरासत में रखने का औचित्य नहीं है।
हालांकि, मुख्य आरोपी टामन सिंह सोनवानी और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी कोई राहत नहीं दी है।
CGPSC जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पेपर लीक का यह घोटाला राज्य की लोक सेवा चयन प्रणाली की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल उठाता है। हजारों युवाओं का करियर दांव पर लग गया है।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इससे पहले टिप्पणी की थी- “प्रश्नपत्र लीक करना एक ऐसा अपराध है जो समाज के विश्वास की हत्या करता है। यह किसी व्यक्ति की हत्या से कम नहीं।”
आगे की राह:
• CBI ने अब इस केस की फाइनल चार्जशीट तैयार कर ली है।
• बैंक खातों, मोबाइल रिकॉर्ड्स, और दस्तावेजों की जांच जारी है।
• जिन उम्मीदवारों का चयन संदिग्ध पाया गया, उनके नियुक्ति रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।
• राज्य सरकार ने CGPSC की भविष्य की परीक्षाओं में डिजिटल सुरक्षा सिस्टम लागू करने की घोषणा की है।
घोटाले से बेरोजगार युवाओं में भारी नाराजगी है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं, “अगर आयोग ही भ्रष्ट निकला, तो आम अभ्यर्थी किस पर भरोसा करे?”
इस पूरे प्रकरण ने न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि युवाओं के भविष्य और विश्वास दोनों को झकझोर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत फिलहाल आरोपियों के लिए राहत जरूर है, लेकिन केस अभी खत्म नहीं हुआ है। CBI की जांच, अदालत में गवाही और दस्तावेज़ी साक्ष्य यह तय करेंगे कि छत्तीसगढ़ के इस सबसे बड़े भर्ती घोटाले का अंतिम सच क्या है।
