CG Health Department: सिरिंज की किल्लत से सरकारी अस्पताल बेहाल, मरीज खुद खरीद रहे सुई…NV News

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रायपुर/(CG Health Department): राजधानी के मठपुरैना स्थित हमर अस्पताल में अव्यवस्थाओं ने मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यहां पिछले तीन महीने से सिरिंज की सप्लाई पूरी तरह बंद है। हालात ऐसे हैं कि,अब मरीजों को इंजेक्शन लगवाने या जांच कराने के लिए खुद सिरिंज खरीदकर लानी पड़ रही है। यह समस्या गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों के लिए आर्थिक बोझ बन गई है।

तीन महीने से ठप सप्लाई, विभाग बेखबर:

हमर अस्पताल में रोजाना करीब 100 से 160 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अधिकतर मरीज मजदूर या निम्न आय वर्ग के होते हैं, जो सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं। लेकिन पिछले तीन महीने से यहां सिरिंज की सप्लाई पूरी तरह बंद है।

अस्पताल प्रशासन ने कई बार स्वास्थ्य विभाग को सप्लाई रुकने की जानकारी दी, पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजा यह है कि मरीजों को जांच, ड्रेसिंग, दवा देने या टीकाकरण जैसे हर छोटे-बड़े काम के लिए निजी दुकानों से सिरिंज खरीदनी पड़ रही है।

नर्सें खुद बोल रहीं,“पहले सिरिंज खरीद लीजिए”:

अस्पताल के ओपीडी, ड्रेसिंग रूम, लेबर रूम और पैथोलॉजी लैब सभी जगह सिरिंज की कमी का असर साफ दिख रहा है। नर्सें और पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों से इलाज शुरू करने से पहले ही कह देते हैं कि “बाहर से सिरिंज खरीद लीजिए, अस्पताल में नहीं है।”

एक मरीज ने बताया, “हम मुफ्त इलाज के लिए सरकारी अस्पताल आते हैं, लेकिन अब हर बार सिरिंज खरीदनी पड़ती है। कभी 5 रुपये की, कभी 10 रुपये की। यह भी खर्च बड़ा लगता है।”

दूसरी ओर, अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि वे भी असहज स्थिति में हैं। “मरीजों से बाहर से सामग्री लाने के लिए कहना हमें भी ठीक नहीं लगता, पर मजबूरी है,” एक नर्स ने बताया।

गर्भवती और बुजुर्ग मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत:

सिरिंज की कमी का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्ग मरीजों पर पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं को नियमित टीकाकरण और जांच के दौरान सिरिंज खरीदनी पड़ती है, जबकि बुजुर्ग मरीजों को बाजार जाकर सुई लेना बेहद मुश्किल हो जाता है।

अस्पताल में आने वाले कई बुजुर्ग मरीज पैदल या सार्वजनिक परिवहन से आते हैं। ऐसे में उनके लिए बाहर जाकर सिरिंज खरीदना और फिर वापस अस्पताल लौटना थकाऊ और कष्टदायक बन जाता है।

इलाज में देरी और संक्रमण का खतरा:

सिरिंज की अनुपलब्धता के कारण कई बार जांच और इंजेक्शन देने में घंटों की देरी हो रही है। कई मरीज शिकायत कर चुके हैं कि सिरिंज खरीदने के बाद भी सुरक्षा मानकों की जांच नहीं होती, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जब तक नियमित सप्लाई बहाल नहीं होती, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश की जा रही है। हालांकि यह व्यवस्था कितनी कारगर होगी, इस पर सवाल उठ रहे हैं।

विभाग की सफाई,‘टेंडर प्रक्रिया में देरी’:

जब इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से बात की गई, तो एक अधिकारी ने बताया कि नए टेंडर की प्रक्रिया के चलते सिरिंज की सप्लाई अटकी हुई है। जल्द ही समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन कब तक सप्लाई बहाल होगी, इसका स्पष्ट जवाब नहीं मिला।

सीएमएचओ डॉ. मिथिलेश चौधरी ने कहा,सिरिंज की डिमांड भेजी जा चुकी है, लेकिन सप्लाई अभी नहीं आई है। जैसे ही सप्लाई पहुंचेगी, सभी अस्पतालों में वितरण कर दिया जाएगा। तब तक वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।

मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष:

सरकारी अस्पतालों का मकसद गरीबों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं देना है, लेकिन जब सिरिंज जैसी मूलभूत चिकित्सा सामग्री तक उपलब्ध न हो, तो यह व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।

मरीजों और कर्मचारियों दोनों की परेशानी यह दर्शाती है कि सिर्फ भवन और स्टाफ से नहीं, बल्कि समय पर सामग्री और प्रबंधन से ही स्वास्थ्य सेवा प्रभावी बनती है।

तीन महीने से चली आ रही यह किल्लत अब सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य की गंभीर समस्या बन गई है। सवाल यह है कि कब तक मरीजों को अपने इलाज के लिए खुद सुई खरीदनी पड़ेगी?

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