CG Breaking: बस्तर ओलिंपिक बना महिला सशक्तिकरण का प्रतीक…NV News
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CG Breaking: छत्तीसगढ़ के बस्तर की धरती एक बार फिर खेल और शांति के रंग में रंगने जा रही है। बस्तर ओलिंपिक 2025 इस बार महिला सशक्तीकरण की नई मिसाल बनने वाला है। इस वर्ष पुरुषों की तुलना में 63,961 अधिक महिलाओं ने पंजीयन कराया है। कुल 3,91,297 प्रतिभागियों में से 2,27,629 महिलाएं और 1,63,668 पुरुष शामिल हैं। पिछले वर्ष की तुलना में महिला खिलाड़ियों की संख्या ढाई गुना से अधिक बढ़ी है, जो यह दर्शाता है कि बस्तर की महिलाएं अब बंदूक की नहीं, बल्ले-भाले और जर्सी की ताकत से अपनी पहचान बना रही हैं।
माओवादी हिंसा घटने का असर:
महिला भागीदारी में यह वृद्धि सिर्फ खेल भावना नहीं, बल्कि बस्तर में घटती माओवादी गतिविधियों का भी संकेत है। हाल के महीनों में कई शीर्ष माओवादी नेताओं ने आत्मसमर्पण किया है। अब खबर है कि केंद्रीय समिति सदस्य रामदेर ने भी समर्पण के लिए सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क साधा है। माना जा रहा है कि,वह करीब 50 सशस्त्र माओवादियों के साथ जल्द आत्मसमर्पण कर सकता है। इससे पहले पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति और केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश ने भी हथियार डाले थे।
यह सिलसिला बस्तर में बदलते माहौल की गवाही देता है,जहां कभी गोलियों की आवाज गूंजती थी, अब वहां खिलाड़ियों की तालियों और जयघोष की गूंज सुनाई दे रही है।
तीन चरणों में होगा आयोजन:
बस्तर ओलिंपिक 2025 का आयोजन तीन चरणों में होगा।पहला चरण विकासखंड स्तर पर 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक चलेगा। इसके बाद 6 से 15 नवंबर तक जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं होंगी, जहां ब्लॉक स्तरीय विजेता खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।अंतिम और सबसे बड़ा चरण 24 से 30 नवंबर तक संभाग स्तर पर आयोजित होगा, जिसमें बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर के खिलाड़ी शामिल होंगे।
इन प्रतियोगिताओं के लिए सात जिलों के 32 विकासखंडों में 62 से अधिक मैदान तैयार किए गए हैं, जबकि जिला स्तर पर 20 से अधिक खेल अधोसंरचनाएं चिन्हित की गई हैं। संभाग स्तरीय आयोजन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानक वाले स्टेडियमों में होगा।
11 पारंपरिक व आधुनिक खेल शामिल:
बस्तर ओलिंपिक में कुल 11 खेलों को शामिल किया गया है- तीरंदाजी, एथलेटिक्स, कबड्डी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, कराते, वेटलिफ्टिंग, खो-खो, वालीबॉल और रस्साकसी।
इनमें स्थानीय परंपरा और आधुनिक खेलों का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। खेलों में न केवल गांव-गांव से खिलाड़ी जुड़ रहे हैं, बल्कि माओवादी हिंसा से प्रभावित और दिव्यांग खिलाड़ी भी पैरा खेल स्पर्धाओं के माध्यम से अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे।
पिछले वर्ष बस्तर ओलिंपिक में आत्मसमर्पण कर चुके माओवादियों को नई शुरुआत का अवसर देते हुए उन्हें ‘नुवा बाट’ (नई राह) नाम से जोड़ा गया था। इस पहल ने देशभर में सकारात्मक संदेश दिया था कि, खेल इंसान को हिंसा के रास्ते से वापस लाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ सकता है।
बढ़ती लोकप्रियता, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान:
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि बस्तर ओलिंपिक का उद्देश्य केवल खेल नहीं, बल्कि समाज में एकता, शांति और आत्मविश्वास का संदेश फैलाना है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने पिछले वर्ष ही अपनी राष्ट्रीय पहचान बना ली थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश का एक “अनूठा ओलिंपिक” बताया था।
इस वर्ष के आयोजन में और भी भव्यता की उम्मीद है। समापन समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन इसके लिए विशेष तैयारी में जुटा है।
बस्तर में उम्मीदों का नई किरण:
बस्तर ओलिंपिक अब केवल खेलों का आयोजन नहीं रहा, यह क्षेत्र के सामाजिक परिवर्तन की पहचान बन गया है।जहां कभी युवाओं को माओवादी हिंसा की ओर धकेला जाता था, वहीं आज युवा पीढ़ी खेल के मैदान में अपने भविष्य की रचना कर रहे हैं। महिलाओं की रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी ने यह साबित कर दिया है कि बस्तर अब नई दिशा में बढ़ रहा है- जहां शक्ति, खेल और शांति साथ-साथ चल रहे हैं।
बस्तर ओलिंपिक 2025 सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि यह संदेश है कि जब समाज एकजुट होता है, तो बंदूकें भी झुक जाती हैं और मैदानों में नई उम्मीदों के फूल खिल उठते हैं।
