CG AI Awareness:साइबर ठगी पर लगाम,स्कूलों में शुरू होंगी डिजिटल सुरक्षा की क्लास…NV News

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रायपुर/(CG AI Awareness): अब छत्तीसगढ़ के गांवों में भी बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और साइबर सुरक्षा की बातें सीखेंगे। राज्य में बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने और डिजिटल सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस एक बड़ा अभियान शुरू करने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्य में “साइबर जागरूकता अभियान” चलाया जाएगा, जिसके तहत स्कूलों के पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा से जुड़ी बुनियादी जानकारी जोड़ी जाएगी।
स्कूलों और पंचायतों से जुड़ेगा अभियान:
इस अभियान में साइबर पुलिस विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया है। उद्देश्य है-ग्रामीण और स्कूली स्तर पर लोगों को साइबर सुरक्षा, एआई के सही उपयोग, इंटरनेट पर फैलने वाली फर्जी खबरों की पहचान और असली-नकली जानकारी में फर्क करना सिखाना।
गांवों में पंचायतें लोगों तक यह संदेश पहुंचाएंगी कि सोशल मीडिया पर किस प्रकार की खबरें या लिंक खतरनाक हो सकते हैं। साथ ही, वे बताएंगी कि ऑनलाइन ठगी या संदिग्ध संदेशों से कैसे बचा जाए। ग्रामीणों को यह भी सिखाया जाएगा कि एआई आधारित एप या टूल्स का इस्तेमाल करते समय कौन-कौन से एहतियात बरतने चाहिए।
स्कूलों में जोड़ा जाएगा नया पाठ्यक्रम:
राज्य पुलिस मुख्यालय ने स्कूल शिक्षा विभाग से बातचीत शुरू कर दी है ताकि साइबर सुरक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सके। इससे बच्चों को शुरुआत से ही डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने की समझ विकसित हो सकेगी। अधिकारियों का कहना है कि, आज बच्चे इंटरनेट और मोबाइल का इस्तेमाल बहुत जल्दी शुरू कर देते हैं, लेकिन सुरक्षा के मूल नियमों से अनजान रहते हैं। इसलिए, उन्हें स्कूल स्तर पर ही यह ज्ञान देना जरूरी है।
हर 20 मिनट में एक साइबर ठगी की शिकायत:
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में औसतन हर 20 मिनट में एक नई साइबर ठगी की शिकायत दर्ज होती है। छत्तीसगढ़ में भी हालात गंभीर हैं। जनवरी 2023 से जून 2025 के बीच राज्य में करीब 67,000 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2024 में ही 31,000 से अधिक शिकायतें आईं, जिनमें 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी हुई।
रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जिले साइबर अपराध के सबसे बड़े केंद्र बनकर उभरे हैं। इनमें “डिजिटल अरेस्ट”, “केवाईसी अपडेट” या “ऑनलाइन इनाम” जैसे झांसे देकर लोगों से पैसे ठगे जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण ठगी के शिकार होने की संभावना और अधिक रहती है।
एआई और फेक न्यूज पर फोकस:
अभियान में केवल साइबर ठगी ही नहीं, बल्कि एआई (Artificial Intelligence) के दुरुपयोग और फेक न्यूज के खतरे पर भी ध्यान दिया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि एआई से बनाए गए फर्जी वीडियो, वॉयस या तस्वीरों से कैसे भ्रम फैलाया जाता है और उन्हें पहचानने के क्या तरीके हैं।
साइबर पुलिस विभाग के अनुसार, “डीपफेक” और “एआई चैटबॉट ठगी” जैसे नए अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। कई बार अपराधी किसी परिचित की आवाज या चेहरा बनाकर लोगों से पैसे ठग लेते हैं। ऐसे में लोगों को इन नए डिजिटल खतरों के बारे में जागरूक करना समय की जरूरत बन गई है।
ग्राम पंचायतें बनेंगी जागरूकता की ताकत:
इस अभियान का एक मजबूत स्तंभ ग्राम पंचायतें होंगी। गांवों में पंचायतें जनसभाओं, दीवार लेखन, नुक्कड़ नाटक और डिजिटल पोस्टर के जरिए लोगों को साइबर सुरक्षा के नियम सिखाएंगी। खासतौर पर किसानों, महिलाओं और युवाओं को लक्षित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
साइबर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि “गांवों में इंटरनेट तेजी से पहुंचा है, लेकिन सुरक्षा की समझ उतनी नहीं बढ़ी। अब हम पंचायतों और स्कूलों को साथ लेकर गांव-गांव साइबर जागरूकता फैलाएंगे।”
डिजिटल भारत के लिए डिजिटल सुरक्षा जरूरी:
छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास डिजिटल भारत मिशन के साथ एक मजबूत कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब देश तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, तो डिजिटल सुरक्षा का ज्ञान भी उतना ही जरूरी है।
अगर बच्चे और ग्रामीण शुरू से ही साइबर सतर्कता सीख लें, तो न सिर्फ ठगी के मामलों में कमी आएगी, बल्कि एआई और इंटरनेट का उपयोग सुरक्षित और उत्पादक दिशा में बढ़ेगा।
छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य पुलिस अब स्कूलों और पंचायतों के माध्यम से गांव-गांव तक साइबर सुरक्षा का पाठ पढ़ाने की तैयारी में है। लक्ष्य है,हर नागरिक को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित बनाना और हर बच्चे को यह सिखाना कि तकनीक जितनी ताकतवर है, उतनी ही जिम्मेदारी से उसका उपयोग जरूरी है।