CGMSC Scam: गुणवत्ता फेल,फिर भी सौदा चालू! 9एम इंडिया पर सरकार मेहरबान…NV News

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रायपुर/(CGMSC Scam): छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जान के साथ गंभीर खिलवाड़ हो रहा है। राज्य सरकार की खरीद एजेंसी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) बार-बार फेल साबित हुई कंपनी 9एम इंडिया लिमिटेड से दवाएं खरीद रही है। विभागीय जांच में इस कंपनी की 81 बैच दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल पाई गईं, लेकिन इसके बावजूद कंपनी से नए बैच की सप्लाई जारी है।
नियमों की अनदेखी पर सवाल:
CGMSC के स्पष्ट नियम हैं कि, यदि किसी कंपनी की पांच बैच दवाएं फेल हो जाती हैं, तो उसे तीन वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए। इसके बावजूद महासमुंद की 9एम इंडिया को न केवल दवा आपूर्ति से नहीं रोका गया, बल्कि उससे दो दर्जन से ज्यादा दवाओं की खरीदी की जा रही है। यह मामला अब स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
फेल बैच में पैरासिटामोल से लेकर आई ड्रॉप तक:
जानकारी अनुसार, कंपनी की जिन दवाओं के बैच फेल हुए हैं, उनमें पैरासिटामोल 500 एमजी, पैरासिटामोल 650 एमजी, बच्चों के लिए पैरासिटामोल सिरप, और आई ड्रॉप सिप्रोफ्लोक्सिन शामिल हैं।इन्हीं दवाओं का उपयोग अस्पतालों में सबसे अधिक होता है। इसके अलावा, अन्य 10 प्रकार की दवाएं भी गुणवत्ता जांच में असफल पाई गई हैं। कुछ बैचों में तो काले धब्बे तक मिले हैं।
फैक्ट्री जांच में मिली गड़बड़ी:
औषधि विभाग ने हाल ही में महासमुंद स्थित कंपनी की फैक्ट्री की जांच की थी। जांच में रॉ मटेरियल और उत्पादन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। हालांकि, विभाग ने अब तक पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। सूत्रों के अनुसार, कई दवाओं में इस्तेमाल किए गए कच्चे माल की गुणवत्ता संदिग्ध थी।
पूर्व एमडी का पत्र बना खुलासा:
10 जनवरी 2025 को CGMSC की तत्कालीन प्रबंध निदेशक द्वारा जारी एक आदेश ने यह मामला उजागर कर दिया। आदेश में 9एम इंडिया को निर्देश दिया गया कि फेल बैच उठाकर नए बैच की आपूर्ति की जाए।
यह आदेश तब दिया गया जब कंपनी के पैरासिटामोल 500 एमजी के 53 बैच, 650 एमजी के 17 बैच और आई ड्रॉप के 9 बैच क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए थे। इसके बावजूद कंपनी को रोकने के बजाय उसे नई दवा सप्लाई की अनुमति दी गई।
बच्चों की दवाएं भी असुरक्षित:
सबसे चिंताजनक बात यह है कि 9एम इंडिया की बच्चों के लिए बनी पैरासिटामोल सिरप के बैच भी फेल हुए हैं। अस्पतालों में यह दवा बुखार और दर्द के लिए व्यापक रूप से दी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी दवाएं बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।
कंपनी का प्रोफाइल:
9एम इंडिया लिमिटेड को 28 जुलाई 2020 को छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड किया गया था। इसके चार निदेशक हैं-मनीष अग्रवाल, अजय कुमार अग्रवाल, आशीष अग्रवाल और राहुल अग्रवाल, जिसमें राहुल कंपनी के होल टाइम डायरेक्टर हैं।
कंपनी ने बहुत कम समय में सरकारी आपूर्ति में बड़ी हिस्सेदारी हासिल की है, जिससे अधिकारियों और कंपनी के बीच मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
सरकार की सफाई:
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस मामले पर कहा,“जिन कंपनियों की दवाओं की गुणवत्ता खराब मिली है, उन पर कार्रवाई की जा रही है। नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है और प्रक्रिया के अनुसार ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।”
हालांकि, विभागीय सूत्रों के मुताबिक यह प्रक्रिया पिछले कई महीनों से सिर्फ फाइलों में अटकी हुई है।
लापरवाही की कीमत मरीज चुका रहे:
सरकारी अस्पतालों में इन दवाओं का रोजाना बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। फेल दवाओं की सप्लाई जारी रहने से मरीजों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि,यह मामला केवल लापरवाही नहीं, बल्कि नीतिगत भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
सरकारी नियमों की अनदेखी और लापरवाही के कारण मरीजों की जिंदगी दांव पर लग रही है। सवाल यह है कि जब 81 बैच फेल हो चुके हैं, तब भी 9एम इंडिया से दवा खरीदने की आखिर क्या मजबूरी है?