Karwa Chauth Special: जानें, छलनी से चांद देखने की परंपरा और इसके पीछे की कहानी…NV News
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रायपुर/(Karwa Chauth Special): आज पूरे देश में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। सुबह से निर्जला उपवास रखने के बाद अब सभी को चंद्र दर्शन का बेसब्री से इंतज़ार है, क्योंकि चांद के दीदार और अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूर्ण होता है।
करवा चौथ का महत्व:
करवा चौथ का अर्थ ही अपने अंदर इस पर्व की भावना को समेटे हुए है। “करवा” यानी मिट्टी का पात्र, जिसे पारंपरिक रूप से पूजा में प्रयोग किया जाता है, और “चौथ” यानी चतुर्थी तिथि। यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। विवाहित महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार के साथ भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं।

मान्यता है कि मिट्टी से बने करवे का विशेष महत्व होता है,यही पात्र शाम को पति को जल पिलाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह क्रिया वैवाहिक जीवन में प्रेम, पवित्रता और स्थायित्व का प्रतीक मानी जाती है।
आज के शुभ मुहूर्त:
• अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक
• विजय मुहूर्त: दोपहर 2:04 बजे से 2:51 बजे तक
• अमृत काल: दोपहर 3:22 बजे से शाम 4:48 बजे तक
• गोधूलि मुहूर्त: शाम 4:52 बजे से 5:17 बजे तक
• सायाह्न संध्या: शाम 4:52 बजे से 6:06 बजे तक
• निशिता मुहूर्त: रात 11:43 बजे से 12:33 बजे तक
इन मुहूर्तों में पूजा या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करना मंगलकारी माना गया है।
पूजा विधि और नियम:
करवा चौथ की पूजा संध्या के समय की जाती है। महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं, जो उनके सौभाग्य का प्रतीक है।पूजा की विधि इस प्रकार है:
1.सबसे पहले पूजा स्थल को साफ कर वहां लाल वस्त्र बिछाएं।
2.भगवान शिव, पार्वती, गणेश और करवा माता की प्रतिमा स्थापित करें।
3.मिट्टी से बने दो करवे तैयार करें। एक में जल भरें और दूसरे में मिठाई या अनाज रखें।
4.आटे या हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और रक्षा सूत्र बांधें।
5.करवा माता की पूजा करें, कथा सुनें और मंगलकामना करें।
6.चंद्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य दें और पति का चेहरा छलनी से देखकर व्रत का पारण करें।
करवा चौथ व्रत कथा:
प्राचीन समय में एक साहूकार की सात बेटे और एक बेटी थी। करवा चौथ के दिन सभी बहुएं और बेटी ने व्रत रखा। शाम को जब चांद देर से निकला, तो भाइयों ने अपनी बहन की भूख न देख पाने पर एक चाल चली,उन्होंने आग जलाकर ऐसा भ्रम पैदा किया कि जैसे चांद निकल आया हो।
बहन ने बिना जांचे व्रत तोड़ दिया। परिणामस्वरूप उसका पति बीमार पड़ गया और घर की समृद्धि नष्ट हो गई। बाद में गलती का एहसास होने पर उसने पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा की और क्षमा मांगी। उसकी भक्ति से उसका पति स्वस्थ हुआ और जीवन में फिर से सुख लौट आया।यह कथा आज भी व्रत के दौरान सुनाई जाती है, जिससे यह याद रहे कि सच्ची निष्ठा और संयम से किया गया व्रत कभी व्यर्थ नहीं जाता।
छलनी से चांद देखने की परंपरा क्यों?:
करवा चौथ की सबसे खास परंपरा है छलनी से चांद और पति को देखना।इस रिवाज़ के पीछे कई प्रतीकात्मक मान्यताएं हैं:-
• दीये की लौ और छलनी की रोशनी से नकारात्मकता दूर होती है।
• यह जीवन में आने वाली बाधाओं को छानने और केवल शुभता को स्वीकार करने का प्रतीक है।
• पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है।
करवा चौथ के शुभ उपाय:
1.करवा माता की पूजा कर कथा सुनें इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
2.सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, चूड़ी, बिंदी जैसे सुहाग के सामान का दान करें।
3.भगवान गणेश और गौरी-शंकर की पूजा करें ताकि दांपत्य जीवन में प्रेम और स्थायित्व बना रहे।
4.सोलह श्रृंगार के साथ चंद्रदेव को अर्घ्य दें।
5.व्रत पारण से पहले सात सुहागिनों से आशीर्वाद लें,इसे अत्यंत शुभ माना गया है।
करवा चौथ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्यार, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच विश्वास को मजबूत करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।हर वर्ष यह पर्व हमें याद दिलाता है कि निष्ठा और प्रेम से किया गया हर व्रत, हर प्रार्थना जीवन को सुखमय बना देती है।
