CG Election Commission: 11 राजनीतिक दलों को नोटिस, नहीं दी वित्तीय रिपोर्ट तो होंगी कार्रवाई…NV News

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रायपुर/(CG Election Commission): छत्तीसगढ़ में निष्क्रिय पड़ी राजनीतिक पार्टियों पर अब निर्वाचन आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने राज्य में सक्रिय लेकिन लंबे समय से चुनावी गतिविधियों से दूर 11 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को नोटिस जारी किया है। इन दलों ने न तो किसी चुनाव में उम्मीदवार उतारे हैं और न ही अपनी वार्षिक वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट जमा की है।

निर्वाचन आयोग की इस कार्रवाई का मकसद राज्य में राजनीतिक पारदर्शिता को मजबूत करना और निष्क्रिय दलों की पहचान कर उन्हें जवाबदेह बनाना है।

निर्वाचन आयोग की सख्त कार्रवाई:

जिला प्रशासन ने रायपुर समेत कई जिलों में सक्रिय लेकिन कामकाज में निष्क्रिय पड़ी राजनीतिक पार्टियों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। आयोग ने सभी दलों को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी वित्तीय रिपोर्ट और चुनावी गतिविधियों का ब्यौरा देने को कहा है।

जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. गौरव सिंह ने बताया कि जो दल तय समय में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कदम राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

निष्क्रिय दलों पर शिकंजा:

जानकारी अनुसार, जिन 11 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें से अधिकांश पिछले कई वर्षों से किसी भी चुनाव में भाग नहीं ले रहे। कुछ दलों ने अपना पंजीकरण तो कराया लेकिन उसके बाद कोई गतिविधि नहीं दिखाई।

सूत्रों के अनुसार, ऐसे कई दल कर छूट जैसी सुविधाओं का लाभ तो ले रहे हैं लेकिन उन्होंने न तो संगठनात्मक विस्तार किया और न ही किसी चुनावी प्रक्रिया में भाग लिया। निर्वाचन आयोग अब इन दलों को अयोग्य घोषित करने की दिशा में विचार कर रहा है।

नोटिस पाने वाले दल:

1.धूम सेना (पुरानी बस्ती, रायपुर)

2.छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी

3.हमर राज पार्टी

4.आजादी का अंतिम आंदोलन

5.भारतीय सर्वजन हिताय समाज पार्टी

6.समाजवादी स्वाभिमान मंच (पहले ही सूची से बाहर)

इन दलों से आयोग ने उनकी वित्तीय रिपोर्ट, सदस्यता का ब्यौरा और हाल की चुनावी गतिविधियों का रिकॉर्ड मांगा है। निर्धारित अवधि में जवाब न देने पर आयोग इनके पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

पहले ही सूची से बाहर हो चुके दल:

निर्वाचन आयोग पहले भी कई निष्क्रिय राजनीतिक दलों को सूची से बाहर कर चुका है। इनमें छत्तीसगढ़ एकता पार्टी, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी, पृथक बस्तर राज्य पार्टी, राष्ट्रीय आदिवासी बहुजन पार्टी, राष्ट्रीय मानव एकता पार्टी, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी, लोकतंत्र कांग्रेस पार्टी, शक्ति सेना (भारत देश), स्वाभिमान पार्टी और छत्तीसगढ़ महतारी पार्टी शामिल हैं।

इन पार्टियों पर भी पहले यही आरोप लगे थे कि वे सिर्फ नाम के लिए सक्रिय हैं, लेकिन न तो जनता के बीच कार्यक्रम करती हैं और न ही किसी चुनाव में भाग लेती हैं।

क्यों जरूरी है यह कदम:

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के कदम से राजनीतिक व्यवस्था में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ेगी। कई बार निष्क्रिय पार्टियां सिर्फ पंजीकरण के नाम पर सक्रिय रहती हैं और उनका कोई वास्तविक जनाधार नहीं होता।

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “कुछ दल वित्तीय लाभ लेने और कर छूट पाने के लिए पंजीकृत रहते हैं, लेकिन जनता के बीच कोई गतिविधि नहीं करते। इससे लोकतांत्रिक ढांचे की साख पर असर पड़ता है। इसलिए अब निष्क्रिय दलों की पहचान कर उन्हें सूची से हटाया जा रहा है।”

राजनीतिक परिदृश्य में सुधार की कोशिश:

निर्वाचन आयोग की यह पहल राज्य में राजनीतिक सफाई का संकेत मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे केवल वही दल सक्रिय रहेंगे जो वास्तव में जनता के बीच काम कर रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं।

यह कदम न सिर्फ राजनीतिक प्रणाली को स्वच्छ बनाएगा बल्कि आने वाले चुनावों में मतदाताओं को भी स्पष्ट जानकारी देगा कि कौन-से दल वास्तव में सक्रिय हैं।

छत्तीसगढ़ में निर्वाचन आयोग की यह सख्ती राज्य की राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है। जो दल सिर्फ नाम के लिए पंजीकृत हैं, उन्हें अब या तो सक्रिय होना पड़ेगा या पंजीकरण रद्द होने का सामना करना पड़ेगा।

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