CG Custom Milling Scam: पूर्व IAS अनिल टूटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर गिरफ्तार…NV News

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रायपुर/(CG Custom Milling Scam): छत्तीसगढ़ के कस्टम मिलिंग घोटाले में पूर्व IAS अनिल टूटेजा और होटल कारोबारी अनवर ढेबर नामों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। ईओडब्ल्यू ने विशेष कोर्ट में करीब 1500 पन्नों का पूरक चालान पेश किया है। दोनों आरोपी फिलहाल रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
ईओडब्ल्यू ने चालान में आरोप लगाया है कि अनिल टूटेजा और अनवर ढेबर ने राइस मिलरों से अवैध वसूली कर 140 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया। पूर्व IAS अनिल टूटेजा पर आरोप है कि उन्होंने प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया।
जानकारी अनुसार, राइस मिलरों से अवैध वसूली करने के लिए मार्कफेड के जिला विपणन अधिकारियों पर दबाव डाला गया। दबाव में आकर मिलर प्रति क्विंटल 20 रुपये की दर से अवैध राशि देते थे। यह राशि अनिल टूटेजा और अनवर ढेबर के उपयोग और निवेश में लगी।
अनवर ढेबर, जो पूर्व कांग्रेस सरकार में प्रभावशाली रहे, पर आरोप है कि उन्होंने 2022-23 में कई मनमाने काम किए। आयकर विभाग के छापों के दौरान डिजिटल सबूत मिले हैं, जिनसे यह साफ हुआ कि उन्होंने केवल शराब घोटाले में ही नहीं, बल्कि पीडब्ल्यूडी और वन विभाग पर भी गहरा असर डाला।
ईओडब्ल्यू ने जनवरी 2024 में इस मामले की पहली FIR दर्ज की थी। इसमें रोशन चंद्राकर, मनोज सोनी, अनिल टूटेजा, अनवर ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल सहित कई लोगों के नाम शामिल थे।
बता दें,वर्ष 2020-21 से पहले कस्टम मिलिंग के बदले मिलर्स को प्रति क्विंटल 40 रुपये मिलते थे। कांग्रेस सरकार के दबाव में इस राशि को तीन गुना बढ़ाया गया। इस घोटाले में अफसरों से लेकर मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तक शामिल थे।
राइस मिल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रहे रोशन चंद्राकर ने लेवी की जानकारी अधिकारियों को दी। जिन मिलरों से रुपये नहीं लिए गए, उनका भुगतान रोक दिया जाता था। इस तरह यह पूरे घोटाले का जाल तैयार हुआ।
फिलहाल, अनिल टूटेजा और अनवर ढेबर जेल में हैं, जबकि अन्य आरोपितों के खिलाफ जांच जारी है। ईओडब्ल्यू का कहना है कि चालान में सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर सभी आरोपों को साबित किया जाएगा।
कुल मिलाकर यह मामला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और सत्ता का गहरा प्रभाव दिखाता है, जहां उच्च अधिकारियों और प्रभावशाली व्यापारियों ने मिलकर अवैध लाभ कमाया। 1500 पन्नों के पूरक चालान से इस घोटाले की पूरी गुत्थी धीरे-धीरे सामने आ रही है।