CG Naan Scam: आलोक शुक्ला- अनिल टूटेजा 28 दिन ED रिमांड पर…NV News

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रायपुर/(CG Naan Scam): नान (नागरिका आपूर्ति निगम) घोटाले में बड़ा मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और पूर्व नान एमडी अनिल टूटेजा ने विशेष अदालत में सरेंडर कर दिया। इसके तुरंत बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उन्हें 16 अक्टूबर तक ईडी की रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। अब दोनों से दिल्ली में लगातार 28 दिन तक पूछताछ की जाएगी।

दो बार सरेंडर की कोशिश:

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाईकोर्ट से मिली जमानत को रद्द कर दिया था। इसके बाद आलोक शुक्ला दो बार सरेंडर करने कोर्ट पहुंचे। पहली बार ईडी की ओर से केस डायरी पेश न करने के कारण कोर्ट ने अनुमति नहीं दी। बाद में डायरी पेश होने के बाद दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी पूरी हुई।

10 साल पुराना मामला, जांच को प्रभावित करने का आरोप:

यह मामला 10 साल पुराने नान घोटाले से जुड़ा है, जिसने छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया था। आरोप है कि आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा ने अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए न सिर्फ गड़बड़ियों को अंजाम दिया, बल्कि जांच को भी प्रभावित करने की कोशिश की। उस समय आलोक शुक्ला खाद्य सचिव थे और अनिल टूटेजा नान के प्रबंध निदेशक (MD)।

कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा:

गिरफ्तारी के दौरान कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी संख्या में सीआरपीएफ (CRPF) जवानों की तैनाती की गई। गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम दोनों आरोपियों को विशेष विमान से दिल्ली ले गई, जहां उनसे नई सिरे से पूछताछ की जाएगी। अब मामले की जांच सीधे दिल्ली ईडी कार्यालय से संचालित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा दिया है कि,जांच जल्द पूरी होनी चाहिए। ईडी को तीन महीने और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को दो महीने में जांच पूरी करने की समयसीमा दी गई है।

नान घोटाले की शुरुआत कैसे हुई:

यह मामला फरवरी 2015 का है। नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) में चावल, नमक और अन्य खाद्य सामग्री के भंडारण व परिवहन में भारी गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई थीं। इसके बाद 12 फरवरी 2015 को एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने 28 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।

इन छापों में नान मुख्यालय रायपुर से दो करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए थे। जांच के बाद अधिकारियों ने 5000 पन्नों से अधिक का चालान तैयार कर कोर्ट में पेश किया।

आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा पर आरोप:

शुरुआती जांच में कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए। उस समय आलोक शुक्ला खाद्य सचिव और अनिल टूटेजा नान के एमडी थे। दोनों के खिलाफ केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद पूरक चालान पेश किया गया। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने परिवहन ठेकों, भंडारण व्यवस्था और भुगतान प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया और करोड़ों रुपये का हेरफेर किया।

ईडी की नई रणनीति:

ईडी अब इस मामले की तह तक जाने के लिए दिल्ली में हाई-प्रोफाइल पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि जांच एजेंसी नान घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का खुलासा कर सकती है। दिल्ली में पूछताछ के दौरान आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा से आमने-सामने सवाल-जवाब होंगे और इस मामले में जुड़े अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं।

राजनीतिक हलचल तेज:

नान घोटाला हमेशा से ही छत्तीसगढ़ की राजनीति का बड़ा मुद्दा रहा है। इस गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति में फिर से हलचल बढ़ गई है। विपक्ष ने सरकार पर ढिलाई बरतने के आरोप लगाए हैं, जबकि सत्ता पक्ष ने कहा है कि कानून अपना काम कर रहा है।

आगे की कार्यवाही:

ईडी की 28 दिन की रिमांड के दौरान दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ होगी। एजेंसी की कोशिश है कि घोटाले से जुड़े वित्तीय लेन-देन और अन्य बड़े अधिकारियों की भूमिका का पता लगाया जा सके। यदि पूछताछ में नए सबूत मिलते हैं, तो और भी बड़े खुलासे संभव हैं।

नान घोटाला केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त गहरी गड़बड़ियों की कहानी भी बयां करता है। अब सबकी निगाहें दिल्ली में होने वाली इस पूछताछ पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में कई बड़े नामों को बेनकाब कर सकती है।

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