CG HC Strict : हाईवे स्टंट केस में पुलिस को लगाई फटकार…NV News

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बिलासपुर/(CG HC Strict): छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर-मस्तूरी रोड पर हुए खतरनाक कार स्टंट मामले में पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई केवल दिखावा है और रसूखदार लोगों पर सख्ती नहीं दिखाई जाती। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब्त की गई गाड़ियां बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं छोड़ी जाएंगी। साथ ही चेतावनी दी कि सड़क पर गुंडागर्दी करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए, जो जीवनभर के लिए सबक बने।
दरअसल,10 सितंबर को कुछ युवक लावर गांव स्थित फार्म हाउस में जन्मदिन पार्टी के लिए निकले थे। रास्ते में उन्होंने नेशनल हाईवे-49 पर तेज रफ्तार कारों के साथ खतरनाक स्टंट किए। कई युवक कार की खिड़कियों और सनरूफ से बाहर लटकते नजर आए। उनकी लापरवाही के कारण सड़क पर जाम लग गया और राहगीरों की जान खतरे में पड़ गई।17 सितंबर को राहगीरों ने स्टंट का वीडियो पुलिस को भेजा, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की।
18 कारें जब्त, लेकिन कार्रवाई पर सवाल:
वीडियो के आधार पर पुलिस ने 18 कारों को जब्त किया और चालकों पर मोटर व्हीकल एक्ट की धाराओं में अपराध दर्ज किया। ड्राइविंग लाइसेंस निरस्तीकरण की अनुशंसा भी की गई।हालांकि, एफआईआर में केवल 17 गाड़ियों के नंबर दर्ज किए गए, जिससे पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो गए। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ रस्म अदायगी है।
कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार:
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर पुलिस सख्ती दिखाती है, लेकिन जैसे ही मामला अमीर या राजनीतिक रसूख वाले लोगों से जुड़ता है, पुलिस ‘बिना दांत का बाघ’ बन जाती है।
कोर्ट ने कि टिप्पणी:- “सिर्फ मामूली जुर्माना भरवाकर गाड़ियां छोड़ना लोगों को और उकसाता है कि वे दोबारा ऐसा अपराध करें। कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए कि अपराधियों के लिए यह जीवनभर का सबक बने।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। भारतीय न्याय संहिता 2023 और अन्य कड़े कानूनों के तहत अपराध दर्ज किए जाने चाहिए।
नाम और तस्वीरें सार्वजनिक क्यों नहीं?:
यह भी सामने आया कि इससे पहले भी हाईवे पर रसूखदारों के बेटों ने कारों का काफिला निकालकर रील्स बनाई थी। उस मामले में भी कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई थी।लेकिन अब तक बिलासपुर पुलिस ने न तो आरोपियों के नाम और तस्वीरें सार्वजनिक कीं, न ही यह जानकारी दी कि किन रसूखदारों पर कार्रवाई हुई। कोर्ट ने इस रवैये पर भी असंतोष जताया।
कोर्ट की सख्त हिदायतें:
कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए:
• जब्त की गई 18 कारें बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं छोड़ी जाएंगी।
• मुख्य सचिव को अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें बताया जाए कि मोटर व्हीकल एक्ट के अलावा और कौन-सी कानूनी कार्रवाई की गई।
• स्टंट करने वालों पर उदाहरणात्मक कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई इस तरह का अपराध करने की हिम्मत न करे।
आरोपियों के खिलाफ एफआईआर(FIR):
पुलिस ने रविंद्र सोनी की शिकायत पर कार्रवाई की और निहाल, आकाश श्रीवास्तव, पवन यादव, आदर्श भेड़िया, प्रियांशु बकसेल, लक्ष्य खोब्रागढ़े, लक्ष्य दास, साहिल बेरिया, कृष तिवारी, शुभम दुबे, अमिन श्रीवास्तव, मोनू गुप्ता, विवेक शर्मा, रिंकू श्रीवास्तव, सत्यजीत केशरवानी, चीकू सोनी और सुशांत सोनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है।हालांकि, पुलिस ने अभी तक इन युवकों की तस्वीरें या अन्य जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
पहले भी लिया था कोर्ट ने संज्ञान:
हाई कोर्ट ने याद दिलाया कि 3 फरवरी को भी इसी तरह के स्टंट और गुंडागर्दी का मामला सामने आया था। तब कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी को कई बार हलफनामे दाखिल करने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके, इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
23 सितंबर को अगली सुनवाई:
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की है। साथ ही आदेश की प्रति तुरंत मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए। कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस बार कार्रवाई केवल दिखावे की नहीं होगी, बल्कि ऐसी होनी चाहिए जो नजीर बने।
इस पूरे मामले ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि कानून का डर रसूखदारों पर कितना कमजोर है। हाई कोर्ट की सख्ती के बाद अब उम्मीद है कि बिलासपुर पुलिस और राज्य प्रशासन इस मामले में ठोस और उदाहरणात्मक कदम उठाएगा।