CGPSC Scam:CBI का बड़ा खुलासा, अफसरों का गिरोह बेनकाब…NV News

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रायपुर/(CGPSC Scam): छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती परीक्षा घोटाले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) लगातार बड़े खुलासे कर रही है। जांच में सामने आया है कि यह घोटाला केवल CGPSC 2021 तक सीमित नहीं है, बल्कि वर्ष 2020 से 2022 तक आयोजित कई भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर प्रश्नपत्र लीक किए गए। इस पूरे प्रकरण के केंद्र में पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक की जोड़ी बताई जा रही है।

जानकारी अनुसार,CBI ने अब तक की जांच में कई ठोस सबूत इकट्ठा किए हैं। 15 जुलाई 2024 को आयोग के तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव के भिलाई स्थित घर पर छापेमारी के दौरान 2021 मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र और अभ्यास उत्तर बरामद हुए। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि ध्रुव के बेटे सुमित ध्रुव को ये प्रश्नपत्र पहले ही उपलब्ध कराए गए थे, जिससे उसका चयन डिप्टी कलेक्टर पद पर हो सका।

भूपेश सरकार में 78 परीक्षाएं, रमन शासन में औसतन 45:

• आंकड़ों के अनुसार, भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल (2018-2023) में सिर्फ पांच साल में 78 भर्ती परीक्षाएं आयोजित की गईं। यह संख्या पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार के मुकाबले लगभग दोगुनी है।

• रमन सरकार के दो कार्यकाल (2008-2018) में आयोग ने कुल 90 परीक्षाएं कराईं, यानी औसतन 45 परीक्षाएं प्रति कार्यकाल।

• भूपेश शासन में औसतन हर महीने से अधिक परीक्षाएं आयोजित हुईं, यहां तक कि कोरोना काल जैसी कठिन परिस्थितियों में भी।

• हालांकि ज्यादा अवसर मिलने के बावजूद, गड़बड़ियों और पेपर लीक की वजह से इन परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।

संपूर्ण तंत्र की संलिप्तता उजागर:

• जांच में सामने आया कि घोटाले में आयोग के लगभग सभी बड़े अधिकारी शामिल थे।

• टामन सिंह सोनवानी (पूर्व अध्यक्ष)- गड़बड़ी की मुख्य साजिश रचने का आरोप।

• आरती वासनिक (पूर्व परीक्षा नियंत्रक)- पेपर लीक कराने में अहम भूमिका।

• जीवन किशोर ध्रुव (पूर्व सचिव) – अपने बेटे सुमित को डिप्टी कलेक्टर पद पर चयन कराने का आरोप।

• ललित गणवीर (पूर्व उप परीक्षा नियंत्रक)- चयनित अभ्यर्थियों और उनके परिजनों से सीधे संपर्क रखने का संदेह।

CBI ने अब तक 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सभी पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज है।

निशा और दीपा पर भी जांच:

तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी की कथित बहू निशा कोसले, जो वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर हैं, और उनके भाई की बहू दीपा आदिल, जिनका चयन जिला आबकारी अधिकारी पद पर हुआ था, दोनों को CBI ने रिमांड पर लिया है।

CBI यह पता लगा रही है कि उन्हें PSC-2020 परीक्षा के प्रश्नपत्र आखिर कब और किस माध्यम से उपलब्ध कराए गए थे।

असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती भी शक के घेरे में:

CBI की जांच फिलहाल CGPSC 2021 भर्ती परीक्षा पर केंद्रित है, लेकिन 2019 की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा भी संदेह के घेरे में है।

• 2019 में 1384 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती हुई थी।

• FIR के अनुसार, अनुपस्थित अभ्यर्थियों का भी चयन कर लिया गया।

• एक ही परीक्षा केंद्र पर बैठे 50 अभ्यर्थियों में से 36 का चयन कर दिया गया, जो गड़बड़ी का स्पष्ट संकेत है।

• इस मामले की प्राथमिक जांच शुरू हो चुकी है और संभव है कि यह भी बड़े घोटाले का हिस्सा निकले।

कैसे खुला घोटाला: 

• CBI को जो दस्तावेज और सबूत मिले हैं, वे बताते हैं कि पेपर लीक की योजना संगठित तरीके से बनाई गई थी।

• पेपर परीक्षा से पहले चुनिंदा अभ्यर्थियों को मुहैया कराए जाते थे।

• अभ्यास उत्तर भी उपलब्ध कराए जाते थे ताकि अभ्यर्थी आसानी से परीक्षा में उच्च अंक ला सकें।

• अधिकारियों के परिजनों और करीबियों का चयन सुनिश्चित किया जाता था।

• CBI की छापेमारी में जब 2021 मुख्य परीक्षा के पेपर मिले, तभी यह साबित हो गया कि गड़बड़ी सिस्टमेटिक और योजनाबद्ध थी।

राजनीतिक हलचल तेज:

• इस घोटाले ने राज्य की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है।

• भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस शासनकाल में आयोग पूरी तरह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था।

कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है और CBI को स्वतंत्र रूप से जांच करने दी जानी चाहिए।

आगे की कार्रवाई:

CBI अब 2020 से 2022 तक हुई सभी परीक्षाओं के रिकॉर्ड खंगाल रही है।

• विशेषकर CGPSC 2020 और 2021 की मुख्य परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित है।

• जिन परीक्षाओं में संदेह है, उनके प्रश्नपत्र, मार्कशीट और चयन सूची की जांच हो रही है।

• सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही कुछ और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

CGPSC घोटाला सिर्फ एक परीक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे चयन तंत्र को हिला देने वाला बहुस्तरीय भ्रष्टाचार कांड है। भूपेश सरकार के कार्यकाल में रिकॉर्ड संख्या में हुई परीक्षाओं के पीछे अब गड़बड़ियों का जाल सामने आ रहा है।

CBI की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इस मामले में नए चेहरे और नए खुलासे सामने आ रहे हैं। यह घोटाला न केवल हजारों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है, बल्कि राज्य की लोक सेवा प्रणाली की साख पर गहरा धब्बा भी है।

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