CG High Court:24 साल पुराने दुष्कर्म केस में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला,नाबालिक आरोपी की सजा रद्द…NV News 

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बिलासपुर/(CG High Court): छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 24 साल पुराने दुष्कर्म मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी की 7 साल की सजा रद्द कर दी है। अदालत ने माना कि घटना के समय आरोपी की उम्र 18 साल से कम थी, इसलिए उसे नाबालिग मानते हुए केस किशोर न्याय बोर्ड को भेजा गया है। बोर्ड को छह महीने में अंतिम निर्णय देने के निर्देश दिए गए हैं।

घटना 2001 में, आरोपी था 16 साल 8 माह का:

यह मामला रतनपुर क्षेत्र के एक गांव का है। जहा 3-4 जुलाई 2001 की रात 15 वर्षीय किशोरी के साथ उसके मौसेरे भाई ने जबरन दुष्कर्म किया था। घटना के बाद पीड़िता ने परिजनों को जानकारी दी और अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और केस दर्ज हुआ।29 अप्रैल 2002 को सेशन कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(1) के तहत 7 साल सश्रम कारावास और 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट में अपील और नया मोड़:

आरोपी ने सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से स्कूल का रिकॉर्ड पेश किया गया, जिसमें उसकी जन्मतिथि 15 अक्टूबर 1984 दर्ज थी। इस हिसाब से वारदात के समय उसकी उम्र 16 साल 8 महीने 19 दिन थी।

जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अपराध की तारीख पर आरोपी की उम्र देखी जाती है, न कि सजा सुनाने के दिन की। अदालत ने माना कि आरोपी को किशोर न्याय अधिनियम, 2000 का लाभ मिलना चाहिए।

किशोर न्याय बोर्ड को केस भेजा गया:

हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट का फैसला रद्द करते हुए केस को किशोर न्याय बोर्ड, बिलासपुर को भेज दिया। बोर्ड को निर्देश दिया गया कि आरोपी की उम्र, अब तक बिताई गई जेल अवधि (करीब डेढ़ साल) और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए छह महीने में अंतिम निर्णय दे।

वर्तमान में आरोपी और पीड़िता दोनों की शादी हो चुकी है और वे अलग-अलग परिवारों के साथ रह रहे हैं। अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि अब दोनों के बच्चे हैं और घटना को 24 साल बीत चुके हैं।

हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत बरकरार रखी है और उसे 8 अक्टूबर 2025 को किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश होने का आदेश दिया है। यह फैसला न केवल आरोपी के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह स्पष्ट करता है कि अपराध की तारीख पर उम्र का सही आकलन न्याय प्रक्रिया में कितना महत्वपूर्ण है।

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