vishwakarma jayanti:श्रम की सार्थकता और सृजन की भावना को समाज में प्रतिष्ठित करने का श्रेय भगवान विश्वकर्मा को – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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NV News :रायपुर, 17 सितम्बर 2025/( vishwakarma jayanti) मुख्यमंत्री निवास में आज भगवान विश्वकर्मा जयंती का आयोजन श्रद्धा और आस्था के साथ किया गया। मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने परंपरागत विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और विकास की कामना की। इस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, (Union Minister for Women and Child Development Annapurna Devi) प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री  लक्ष्मी राजवाड़े(Women and Child Development Minister Laxmi Rajwade)   तथा छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष  वर्णिका शर्मा (Varnika Sharma, Chairperson of Chhattisgarh State Child Rights Protection Commission) विशेष रूप से उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को संसार का प्रथम शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। उनके ही मार्गदर्शन और प्रेरणा से मानव समाज ने निर्माण, तकनीक और कौशल की नई ऊँचाइयों को छुआ है। श्रम की सार्थकता और सृजन की भावना को समाज में प्रतिष्ठित करने का वास्तविक श्रेय भगवान विश्वकर्मा को जाता है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के श्रमवीर और कारीगर प्रदेश की प्रगति और विकास के वास्तविक आधारस्तंभ हैं। चाहे खेत-खलिहान में मेहनत कर रहे किसान हों, उद्योगों-कारखानों में श्रम कर रहे मजदूर हों, या फिर हाथ से हुनर गढ़ने वाले शिल्पकार और कारीगर – सभी ने मिलकर प्रदेश की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती का यह अवसर हम सभी को ईमानदारी, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करने की प्रेरणा देता है।

भगवान विश्वकर्मा का महत्व

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का दिव्य शिल्पकार और निर्माण-कला का अधिष्ठाता माना जाता है। पुराणों के अनुसार इंद्रपुरी, द्वारका, हस्तिनापुर, स्वर्ण लंका और भगवान श्रीराम के लिए निर्मित पुष्पक विमान जैसी महान कृतियाँ उनके शिल्प कौशल की गवाही देती हैं। यही कारण है कि विश्वकर्मा जयंती को श्रमिकों, कारीगरों, इंजीनियरों, तकनीशियनों और सभी श्रमजीवियों का पर्व माना जाता है। इस दिन देशभर में कारखानों, वर्कशॉप, औजारों और मशीनों की पूजा-अर्चना करने की परंपरा है।

श्रमिकों और कारीगरों के योगदान को रेखांकित किया

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि श्रमवीरों का पसीना प्रदेश के विकास का अमृत है। श्रमिकों और कारीगरों की मेहनत से ही नए-नए शहर बसते हैं, पुल और सड़कें बनती हैं तथा उद्योग और तकनीक नई ऊँचाइयों तक पहुँचते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार श्रमिकों और कारीगरों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। श्रमजीवी वर्ग की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रदेश में कुटीर और हस्तशिल्प उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। साथ ही, पारंपरिक हुनर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रशिक्षण एवं विपणन की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

सभी को समर्पण और ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा केवल निर्माण के देवता नहीं हैं, बल्कि वे परिश्रम, ईमानदारी और सृजनात्मकता के प्रतीक हैं। उनके जीवन से हमें सीख मिलती है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि हर कार्य में निष्ठा और समर्पण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में श्रम का सम्मान करना चाहिए और समाज में श्रमिकों के योगदान को सर्वोच्च स्थान देना चाहिए।

कार्यक्रम का माहौल

मुख्यमंत्री निवास में आयोजित इस कार्यक्रम में परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा की स्थापना की गई। मंत्रोच्चार और वैदिक विधि से पूजा-अर्चना सम्पन्न हुई। उपस्थित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने भी भगवान विश्वकर्मा को पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी से अपील की कि वे अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी और दक्षता के साथ योगदान दें। उन्होंने कहा कि समाज तभी समृद्ध होगा जब हम श्रम और सृजन को सम्मान देंगे।

 

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