“Cleanliness Air Ranking”: करोड़ों की योजनाएं धरी रह गई,छ.ग के शहरों को बड़ा झटका…NV News

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रायपुर/(Cleanliness Air Ranking): केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2025 के नतीजों में छत्तीसगढ़ के लिए निराशाजनक तस्वीर सामने आई है। राज्य का कोई भी शहर इस साल भी शीर्ष तीन स्थानों पर जगह नहीं बना सका। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रायपुर 11वें स्थान पर रहा, जबकि 3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों में कोरबा 18वीं रैंक पर पहुंचा।
रायपुर की रैंकिंग में मामूली सुधार:
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में मध्य प्रदेश का इंदौर 200 में से 200 अंक हासिल कर पहले स्थान पर रहा। जबलपुर ने 199 अंकों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि आगरा और सूरत 196 अंकों के साथ संयुक्त रूप से तीसरे पायदान पर रहे।
रायपुर ने इस श्रेणी में 184 अंक हासिल किए। हालांकि, पिछली बार की तुलना में रायपुर ने एक पायदान ऊपर चढ़ते हुए 12वें से 11वीं रैंक पर पहुंचा, लेकिन टॉप 10 से बाहर रहा। यह नतीजा इस बात का संकेत है कि लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास अपेक्षित नतीजे नहीं दे पाए हैं।
कोरबा 18वें स्थान पर:
3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में भी छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन औसत रहा। इस श्रेणी में महाराष्ट्र का अमरावती पहले, उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद दूसरे और झांसी तीसरे स्थान पर रहा।
छत्तीसगढ़ के औद्योगिक शहर कोरबा को 172.5 अंक मिले और वह 18वें स्थान पर रहा। कोरबा लंबे समय से प्रदूषण के लिए चर्चा में रहता है और यहां की वायु गुणवत्ता अक्सर खराब श्रेणी में दर्ज की जाती है।
तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों में देवास, परवाणू और अंगुल क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। इस श्रेणी में छत्तीसगढ़ का कोई भी शहर शामिल नहीं हो सका।
रायपुर में हर साल करोड़ों का खर्च, फिर भी नतीजे निराशाजनक:
रायपुर नगर निगम और राज्य सरकार हर साल वायु गुणवत्ता सुधारने पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। राजधानी में सड़कों की सफाई के लिए स्वीपिंग मशीनें, धूल को नियंत्रित करने के लिए जल छिड़काव और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई जैसे कदम उठाए जाते हैं।
इसके बावजूद, न तो स्वच्छ वायु सर्वेक्षण और न ही स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर पाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीरता की कमी और निगरानी की कमजोर व्यवस्था के कारण यह स्थिति बनी हुई है।
इंदौर बना उदाहरण:
पिछले साल 7वें स्थान पर रहने वाला इंदौर इस बार सीधे पहले स्थान पर पहुंच गया। इंदौर की सफलता यह दिखाती है कि सही रणनीति और सख्त अमल के जरिए वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार संभव है।
रायपुर के लिए यह चेतावनी और सबक दोनों है कि केवल मशीनें खरीदने और पानी का छिड़काव करने से परिणाम नहीं बदलेंगे। प्रदूषण के स्रोतों को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
राज्य के प्रयासों पर सवाल:
• सर्वेक्षण के नतीजे प्रशासन की नीतियों और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
• राजधानी रायपुर में निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल पर नियंत्रण की प्रभावी व्यवस्था नहीं है।
• औद्योगिक क्षेत्रों में उत्सर्जन की सख्त निगरानी नहीं हो पा रही।
• यातायात प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के प्रयास नाकाफी हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसी तरह ढीला रवैया रहा, तो आने वाले सालों में रायपुर और कोरबा की रैंकिंग और गिर सकती है।
क्या है स्वच्छ वायु सर्वेक्षण:
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय हर साल यह सर्वेक्षण करता है, जिसमें शहरों को प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता सुधार के आधार पर 200 अंकों की स्केल पर रैंक दी जाती है। इसमें प्रदूषण कम करने की योजनाओं, उनके क्रियान्वयन और निगरानी व्यवस्था की भी जांच होती है।
अगले साल की चुनौती:
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2025 के नतीजों ने साफ कर दिया है कि रायपुर और कोरबा को टॉप 10 में लाने के लिए जमीनी स्तर पर ठोस बदलाव जरूरी हैं। जब तक प्रदूषण के मुख्य स्रोतों को चिन्हित कर उन पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जनता को स्वच्छ हवा नहीं मिल पाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार के लिए यह समय है कि वह इंदौर जैसे शहरों की कार्ययोजना का अध्ययन कर उसे लागू करे, वरना आने वाले वर्षों में राज्य के शहरों का नाम केवल निचली रैंकिंग में ही दर्ज होता रहेगा।