“CG E-Bus Yojana”: केंद्र से मिला फंड, चार्जिंग की कमी से अटकी योजना…NV News

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रायपुर/(CG E-Bus Yojana): छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रिक बस योजना चार्जिंग स्टेशन की कमी के कारण पटरी से उतरती नजर आ रही है। केंद्र सरकार ने ई-बसों के संचालन के लिए धनराशि जारी कर दी है, लेकिन राज्य में पर्याप्त चार्जिंग सुविधाएं न होने से योजना अधर में लटक गई है। वर्तमान में पूरे प्रदेश में केवल 215 इलेक्ट्रिक बसें ही चल रही हैं, जबकि लक्ष्य इससे कई गुना अधिक था।
शहरी विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच महीने से टेंडर और अन्य तैयारियां पूरी नहीं हो पाई हैं, जिसके कारण ई-बसों की संख्या नहीं बढ़ पाई। वहीं, ओडिशा (450), पश्चिम बंगाल (391) और आंध्र प्रदेश (238) जैसे राज्य प्रदेश से आगे निकल चुके हैं। देशभर में कुल 14,329 ई-बसें संचालित हो रही हैं। इनमें दिल्ली सबसे आगे है, जहां 3,564 ई-बसें चल रही हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (3,296), कर्नाटक (2,236) और उत्तर प्रदेश (850) का स्थान है।
290 चार्जिंग स्टेशन, जरूरत कई गुना ज्यादा:
प्रदेश में इस समय करीब 290 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं। इनमें से लगभग आधे सिर्फ रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जिलों में हैं। बाकी पूरे राज्य में फैले हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, प्रत्येक 40 किलोमीटर की दूरी पर चार्जिंग प्वाइंट की जरूरत है। खासतौर पर रायपुर से अंबिकापुर, जगदलपुर और अन्य प्रमुख शहरों तक चार्जिंग नेटवर्क को मजबूत करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है।
सरकार ने सभी ई-वाहन शोरूम और पेट्रोल पंपों पर चार्जिंग प्वाइंट अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, चार्जिंग स्टेशन लगाने वालों को सब्सिडी भी दी जाएगी।
ई-वाहनों की बिक्री में उछाल:
वित्तीय वर्ष 2024-25 में 12,617 इलेक्ट्रिक वाहन बिके हैं। यह आंकड़ा राज्य की ई-वाहन नीति के निर्धारित लक्ष्य से अधिक है। बढ़ती बिक्री यह दर्शाती है कि लोग ई-वाहनों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन चार्जिंग प्वाइंट की कमी उपभोक्ताओं के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है।
नई ई-बसों के लिए मंजूरी, लेकिन प्रक्रिया अटकी:
राज्य सरकार ने इस वर्ष 240 नई ई-बसों को सड़कों पर उतारने की मंजूरी दी है। इसमें रायपुर में 100, दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर में 50-50 और कोरबा में 40 बसें शामिल हैं। इसके साथ ही 52.75 करोड़ रुपए विद्युत और नागरिक संरचना विकास के लिए स्वीकृत किए गए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जल्द ही अनुबंध किए जाएंगे। हालांकि, यह काम अभी तक अटका हुआ है, जिससे योजना आगे नहीं बढ़ पा रही।
बैठक में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर जोर:
पिछले महीने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों और सरकारी अधिकारियों की बैठक में चार्जिंग नेटवर्क को मजबूत करने पर चर्चा हुई। इसमें पेट्रोल पंपों और बड़े वाहन विक्रेताओं को चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया। जिन जिलों में चार्जिंग प्वाइंट कम हैं, वहां प्राथमिकता के आधार पर इन्हें स्थापित किया जाएगा।
अन्य राज्यों से पिछड़ रहा छत्तीसगढ़:
जहां अन्य राज्य तेजी से ई-बसों का संचालन बढ़ा रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की धीमी रफ्तार चिंता का विषय है। दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हजारों बसें चल रही हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में अभी भी तैयारी के चरण में है।
अपर परिवहन आयुक्त डी. रविशंकर ने कहा कि,”ई-बसों के चार्जिंग स्टेशन के लिए रायपुर नगर निगम तेजी से काम कर रहा है। आने वाले समय में हर 40 किलोमीटर पर चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा सुनिश्चित करने की योजना है।”
• राज्य में ई-बसों और ई-वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत होना बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार से धन मिलने के बावजूद योजना अटकना, प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र की धीमी कार्यशैली को दर्शाता है। यदि समय पर चार्जिंग नेटवर्क नहीं बढ़ाया गया, तो छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से और ज्यादा पिछड़ सकता है।