“CG Drug Smuggling Case”: नशे के सौदागरों पर सख्त कार्रवाई,दो तस्करों को जेल…NV News
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रायपुर/(CG drug Smuggling Case): छत्तीसगढ़ में नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी बीच राजधानी रायपुर में विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की अदालत ने दो अलग-अलग मामलों में फैसला सुनाते हुए नशा बेचने वालों को कड़ी सजा दी। अदालत ने अफीम बेचने के दोषी को 10 साल कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना, वहीं गांजा और हेरोइन बेचने वाले को 5 साल कैद और 90 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। जुर्माना न भरने पर उसे अतिरिक्त 1 साल कैद भुगतनी होगी।
अफीम तस्करी का मामला (Opium smuggling case):
Case 1:पहला मामला हीरापुर निवासी हरप्रीत सिंह (32) से जुड़ा है। 21 मार्च 2020 की रात करीब 9:45 बजे पुलिस टीम को सूचना मिली कि एक युवक नशे के सौदे के लिए रिंग रोड स्थित शीतला मंदिर के पास घूम रहा है। आमानाका पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हरप्रीत को घेराबंदी कर पकड़ा।
तलाशी में उसकी मोटरसाइकिल से 310 ग्राम अफीम बरामद की गई। पुलिस ने अफीम को जब्त करते हुए हरप्रीत के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) के तहत मामला दर्ज किया और उसे न्यायालय में पेश किया।
अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 18 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। पुलिस की केस डायरी और प्रस्तुत सबूतों के आधार पर कोर्ट ने हरप्रीत को दोषी मानते हुए 10 साल कठोर कारावास और 1 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला कोरोना संक्रमण काल के दौरान आया जब नशे का अवैध कारोबार तेजी से फैल रहा था।
गांजा और हेरोइन तस्करी का मामला (Ganja and heroin smuggling case):
Case 2: दूसरा मामला धरमसिंह रंधावा (40) का है। टाटीबंद इलाके में पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि वह नशे की तस्करी में शामिल है। छापेमारी के दौरान धरमसिंह के पास से 1 किलो गांजा और 4 ग्राम हेरोइन बरामद की गई। पुलिस ने मौके पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया।
मामला विशेष न्यायालय में पेश हुआ, जहां गवाहों और सबूतों की जांच के बाद धरमसिंह को दोषी पाया गया। अदालत ने उसे 5 साल कैद और 90 हजार रुपए जुर्माना भरने की सजा सुनाई। अगर वह अर्थदंड की राशि नहीं चुकाता, तो उसे अतिरिक्त 1 साल जेल में रहना होगा।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा ने राज्य में बढ़ते नशे के मामलों पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नशे की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है और यह समाज के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है।
न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों में उदारता नहीं बरती जा सकती।”नशे का व्यापार न केवल व्यक्तियों को बर्बाद करता है बल्कि पूरे समाज को पतन की ओर ले जाता है। ऐसे अपराधों में सख्त कार्रवाई ही एकमात्र उपाय है।”
उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को परिवीक्षा अधिनियम का लाभ देने का कोई प्रश्न नहीं उठता क्योंकि इनके अपराध गंभीर श्रेणी में आते हैं।
इस मामले में विशेष लोक अभियोजक केके चंद्राकर ने अभियोजन पक्ष का पक्ष रखते हुए दोनों मामलों में 18 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। पुलिस ने केस डायरी, बरामद सामग्री और गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत में मजबूत पक्ष रखा, जिसके बाद दोषियों को सजा सुनाई गई।
