“Dog bite update”: डॉग क्राइसिस,इलाज ठप, शेल्टर अधूरा…NV News 

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CG News: राजधानी रायपुर में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। हालात इतने खराब हैं कि शहर के दो बड़े अस्पतालों में रोजाना 100 से ज्यादा डॉग बाइट पीड़ित पहुंच रहे हैं। वहीं, डेढ़ करोड़ की लागत से बना डॉग शेल्टर हाउस पिछले दो साल से अधूरा पड़ा है, क्योंकि नगर निगम डॉक्टरों की नियुक्ति तक नहीं कर सका।

हर दिन बढ़ रहे डॉग बाइट केस:

रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में रोजाना औसतन 40 से ज्यादा डॉग बाइट केस दर्ज होते हैं। पिछले छह महीनों में मेकाहारा अस्पताल में 1,764 मरीज आए, जबकि हमर अस्पताल समेत अन्य केंद्रों में सिर्फ एक महीने में 1,200 से अधिक लोग कुत्तों के हमले का शिकार हुए। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि रेबीज के डर से कई मरीजों ने आत्महत्या तक कर ली।

मानव अधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में पूरे छत्तीसगढ़ में 1.20 लाख डॉग बाइट केस दर्ज हुए, जिनमें अकेले रायपुर से 51,000 से ज्यादा मामले सामने आए।

डेढ़ करोड़ का शेल्टर हाउस दो साल से बंद:

कुत्तों पर नियंत्रण के लिए दो साल पहले सोनडोंगरी में डॉग शेल्टर हाउस बनाने का फैसला हुआ था। यह सेंटर 150 कुत्तों को रखने, नसबंदी ऑपरेशन और क्रीमेशन की सुविधा के साथ तैयार हो चुका है। इसकी लागत करीब डेढ़ करोड़ रुपये आई। संचालन के लिए एक एनजीओ (NGO) भी चुना जा चुका है। लेकिन नगर निगम अब तक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कर पाया है, जिससे यह शेल्टर हाउस शुरू ही नहीं हो सका।

नगर निगम की चुनौतियां और महापौर का बयान:

नगर निगम रायपुर की महापौर मीनल चौबे ने कहा, “शेल्टर हाउस के लिए एनजीओ (NGO) फाइनल हो चुका है, लेकिन जितने कुत्ते शहर में हैं, उसके मुकाबले नसबंदी की दर बेहद कम है। हमारा लक्ष्य है कि अधिक से अधिक कुत्तों की नसबंदी की जाए।”

कोर्ट के आदेश और प्रशासन की जिम्मेदारी:

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। हर नगर निगम क्षेत्र में तय फीडिंग जोन बनाए जाएंगे। उल्लंघन करने पर कार्रवाई होगी और हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा। साथ ही, कोर्ट ने कुत्तों पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की भी सिफारिश की है।

विधानसभा में भी गूंजा मुद्दा:

बीजेपी विधायक सुनील सोनी ने विधानसभा में डॉग बाइट और शेल्टर हाउस की स्थिति पर सवाल उठाए। जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि पिछले तीन सालों में 51,730 मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि डॉग शेल्टर का निर्माण किया जा रहा है और नसबंदी व टीकाकरण अभियान तेज किया गया है।

क्यों बढ़ रहा है संकट?:

रायपुर में कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण न होना और नसबंदी की धीमी रफ्तार इसका मुख्य कारण है। निगम की योजना के बावजूद संसाधनों की कमी और लापरवाही से हालात बिगड़ रहे हैं। हर दिन बढ़ रहे डॉग बाइट केस अब स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुके हैं।

क्या है आगे की राह?:

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए तेज नसबंदी अभियान, समय पर टीकाकरण और प्रभावी शेल्टर हाउस संचालन जरूरी है। साथ ही, लोगों में जागरूकता बढ़ाना भी उतना ही अहम है, ताकि कुत्तों को बिना नियंत्रण के खाना खिलाने जैसी आदतें रोकी जा सकें।

रायपुर में आवारा कुत्तों का मुद्दा अब केवल पशु प्रेम का विषय नहीं रहा, बल्कि यह जनस्वास्थ्य का गंभीर संकट बन चुका है। शेल्टर हाउस चालू करना और नसबंदी अभियान तेज करना ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

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