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NV News Raipur:गौरेला-पेंड्रा-मरवाही
“मोदी की गारंटी” को लागू नहीं किए जाने से नाराज़ छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में जोरदार प्रदर्शन किया। जिले के मुख्यालय और मरवाही तहसील में फेडरेशन के सैकड़ों कर्मचारियों और अधिकारियों ने रैली निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और विधानसभा चुनाव-2023 के वादों को याद दिलाया।
फेडरेशन ने बी.जे.पी. के संकल्प पत्र में किए गए वादों को दोहराते हुए सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। प्रदर्शन के बाद प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर प्रतिनिधि तहसीलदार श्री शेषनारायण जायसवाल को 11 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा।
जिला संयोजक डॉ. संजय शर्मा के नेतृत्व में हुई इस रैली में जिला महासचिव विश्वास गोवर्धन, आकाश राय, दिनेश राठौर, सचिन तिवारी, प्रकाश रैदास, जनार्दन मंडल, गीतेश्वर राठौर, अभिषेक शर्मा, राजकुमार टंडन, किशन राठौर सहित कई कर्मचारी नेता शामिल रहे।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने “मोदी की गारंटी” के तहत कई वादे किए थे, जिनमें प्रमुख रूप से केंद्र के समान महंगाई भत्ता, बकाया डीए की जीपीएफ में समायोजन, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, वेतन विसंगति सुधार, पंचायत सचिवों का शासकीयकरण, पुलिस कल्याण कोष का सशक्तिकरण, मितानिन-रसोइया-सफाई कर्मियों का वेतनवृद्धि जैसे कई मुद्दे शामिल थे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इन वादों को पूरा करने के बजाय केवल समितियाँ बनाकर समय बर्बाद किया है। सवाल उठाया गया कि क्या अब सरकार की गारंटी का परीक्षण भी कमेटी करेगी?
फेडरेशन ने यह भी बताया कि पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट लंबित है, जिससे वेतन विसंगति और अन्य मुद्दों का समाधान रुका हुआ है। कर्मचारी-अधिकारी चार स्तरीय वेतनमान से वंचित हैं, जबकि मध्यप्रदेश में यह सुविधा मिल रही है। सहायक शिक्षकों और पशु चिकित्सा अधिकारियों की समयमान वेतन की स्वीकृति भी रुकी हुई है।
एन.पी.एस. (न्यू पेंशन स्कीम) और ओ.पी.एस. (पुरानी पेंशन योजना) को लेकर भी कर्मचारियों में असमंजस और नाराजगी है। उनका कहना है कि एनपीएस की कटौती तिथि से ओपीएस की सेवाकाल गणना स्पष्ट नहीं है।
फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने समय रहते सकारात्मक और समाधानकारी निर्णय नहीं लिया, तो 22 अगस्त 2025 को कलम बंद–काम बंद हड़ताल की जाएगी।
इस प्रदर्शन ने सरकार को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि कर्मचारी और अधिकारी अब केवल आश्वासन से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें अपने अधिकार और वादों की पूर्ति चाहिए।