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N.V.News बिलासपुर: कोतवाली क्षेत्र की 12वीं कक्षा की छात्रा, जो एक निजी संस्थान में काम भी करती हैं, साइबर ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बच गई। शनिवार को अनजान नंबर से आए एक फोन कॉल में जालसाजों ने आरोप लगाया कि वह इंटरनेट पर अश्लील वीडियो देखती हैं और इसकी शिकायत महिला थाने में दर्ज है।
डराने का प्रयास:
जालसाजों ने युवती को धमकाते हुए कहा कि पुलिस उनकी तलाश कर रही है। साथ ही, उसे डराने के लिए व्हाट्सएप पर कुछ फर्जी फोटो भी भेजे। ठगों ने ₹9,500 देकर मामला रफादफा करने का दबाव बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस रकम में से ₹2,000 फाइल चार्ज के रूप में लगेगा और बाकी राशि जांच पूरी होने के बाद वापस कर दी जाएगी।
साहस और जागरूकता से ठगी से बचाव:
युवती ने तत्काल रुपये ऑनलाइन भेजने के बजाय ठगों को सिविल लाइन थाने के पास आकर पैसे लेने की बात कही। इसके बाद वह अपने परिचित के पास गई और पूरी घटना बताई। परिचित की मदद से युवती साइबर सेल पहुंची और मामले की शिकायत दर्ज कराई।
कैसे काम करता है ठगों का गिरोह:
साइबर ठग लोगों को डराने के लिए खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंसी का सदस्य बताते हैं। वे झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं और त्वरित भुगतान की मांग करते हैं। यदि पीड़ित उनकी मांग पूरी कर देता है, तो ठग डिजिटल बंधक बनाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं और अधिक पैसे या व्यक्तिगत जानकारी की मांग करते हैं।
जागरूकता से बचा जा सकता है:
साइबर सेल ने युवती की शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि जालसाज नए तरीके अपना रहे हैं, जिनका कोई कानूनी आधार नहीं है। जागरूकता और सतर्कता से ठगी से बचा जा सकता है। युवती ने ठगों की चाल को समझते हुए तुरंत मदद मांगी, जिससे वह बड़ी परेशानी में फंसने से बच गई।
साइबर ठगों का नया तरीका:
ठग ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क करते हैं और फर्जी आरोप लगाकर डराते हैं। पीड़ित से कहते हैं कि मामले को खत्म करने के लिए तुरंत पैसे दें। कई लोग उनकी बातों में आकर रुपये गंवा बैठते हैं। ऐसे मामलों में सतर्कता और पुलिस की मदद लेना सबसे प्रभावी उपाय है।