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NV News बिलासपुर Relief from eye related diseases: बचपन से आंखों में मोतियाबिंद हो गया था, बच्ची जैसे-जैसे बढ़ते जा रही थी, उसकी दृष्टि भी धुंधली होते जा रही थी। 17 की उम्र तक आते ही उसकी आंखों को रोशनी चली गई। इसके बाद अमृता इस बात को लेकर हार मान चुकी थी कि अब वह फिर से इस सुंदर दुनिया को नहीं देख पाएगी। ऐसे में चार साल से निराशा भरी जिंदगी बीता रही थी, इसी बीच उसे आशा की किरण तब मिली, जब वह जुनेजा सुपर स्पेसलिटी आई हास्पिटल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डा़ सोनल जुनेजा से मिली। जहां उन्होंने फिर से रोशनी लाने का विश्वास दिलाया और उल्टे आंख की बिना टांका, बिना चीरा, बिना सुई लगाए एडवांस फेको लेजर टेक्निक से सर्जरी व लैंस प्रत्यारोपण कर अमृता के जिंदगी में फिर से रोशनी लाने का काम किया।
जानकारी के अनुसार जांजगीर निवासी अमृता गोंड पिता धनसिंह गो़ड को बचपन से देखने में दिक्कत हो रही थी, वह देखती थी तो, लेकिन धुंधला दिखाई देता था, धीरे-धीरे उसे धुंधला दिखाई देना भी बढ़ता गया। पिता को समझ ही नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो रहा है और देखते ही देखते साल गुजरता जा रहा था और उसकी देखने की शक्ति भी उसी रफ्तार से कम होती जा रही है। 17 साल की उम्र आते तक उसे दिखना ही बंद हो गया। इसके बाद पिता धनसिंह ने अमृता को लेकर कई हास्पिटल का चक्कर काटा। हर अस्पताल में लंबे समय से हुए मोतियाबिंद की की इलाज व सर्जरी के लिए हाथ खीचने लगे और दूसरे शहर जाने की सलाह देने लगे।
ऐसे में अमृता चार साल तक अंधत्व झेलती रही। तभी एक आशा की किरण तब मिली जब पिता धनसिंह को उनकी बहन ने बताया कि एक बार बिलासपुर के सीएमडी कालेज चौक के पास स्थित जुनेजा सुपर स्पेसलिटी आई हास्पिटल जाकर परामर्श ले, वहां कुछ हो सकता है। तब पिता अपने बेटी अमृता को लेकर बीते दो मार्च को हास्पिटल पहुंचे और वहां डा़ सोनल जुनेजा से मिले, इसके बाद डा़ सोनल ने जांच किया और बताया कि अमृता की रोशनी वापस आ सकती है। उन्होंने इसके बाद बताया कि इसका खर्च तकरीबन बीस हजार रुपये आएगा। आर्थिक समस्या के बाद भी पिता अमृता की सर्जरी के लिए मान गए और इसके बाद चार मार्च को डा़ सोनल ने बिना टांका, बिना चीरा और बिना सुई लगाए ही एडवांस फेको लेजर टेक्निक से सर्जरी व लैंस प्रात्यारोपण किया। जिसके दो घंटे बाद ही अमृता को दिखने लगा। जिससे अमृता और उसके परिवार वालों का खुशी का ठिकाना न रहा। एक तरह से डा़ सोनल जुनेजा और डा़ राकेश जुनेजा के प्रयास से अमृता की रोशनी वापस आई है।
क्या कहती है अमृता
रोशनी वापस आने के बाद अमृता की खुशी का ठिकाना न रहा। वह इस पल को बयां भी नहीं कर पा रही थी, रोशनी आने के बाद सबसे पहले उसने डा़ सोनल और डा़ राकेश का आभार व्यक्त किया और कहा कि मैं हार चुकी थी और रोशनी आने की कोई भी उम्मीद नहीं बची थी, लेकिन यहां पहुंचकर डाक्टर ने मेरी रोशनी वापस दिला दी। अभी लेफ्ट आंख की रोशनी आई है, आने वाले दिनों में राइट आंख की रोशनी लाने का वादा भी डा़ सोनल ने किया है।
कार्निया ठीक थी, परदे में आ गई थी खराबी: डा़ सोनल
इस मामले में डा़ सोनल जुनेजा का कहना है कि एक तो आर्थिक तंगी के कारण वे लोग इलाज कराने से डर रहे थे, वे जिस भी हास्पिटल में जा रहे थे, वहां से उन्हें हायर सेंटर जाने की सलाह दी जा रही थी, लेकिन जब मैने जांच किया तो पाया कि कार्निया पूरी तरह से ठीक है, कार्निया के पीछे की परदे में खराबी है। इसके बाद ही एडवांस फेको लेजर टेक्निक से सर्जरी किया और लैंस प्रात्यारोपण किया, इसके कुछ ही घंटे के बाद उसकी रोशनी वापस आ गई है।
आयुष्मान से होना चाहिए मोतियाबिंद का इलाज: डा़ राकेश
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा राकेश जुनेजा का कहना है कि अक्सर यह देखने को आता है कि कई लोग आर्थिक कमियों के कारण अपना इलाज नहीं करवा पाते है और आंख से संबंधित समस्याओं को झेलते रहते है। ऐसे में इस तपके को लोगों को आंखों से संबंधित बीमारियों से राहत देने के लिए आयुष्मान भारत से इलाज के पैकेज में जोड़ना चाहिए, इससे ऐने जरुरतमंदों का भी इलाज आसानी से हो सकेगा।