कैसे हुआ Chara Ghotala का खुलासा, चाईबासा कोषागार के डीसी रहे अमित खरे ने बताई पूरी कहानी

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अविभाजित बिहार के चर्चित पशुपालन घोटाले का पर्दाफाश होना तब शुरू हुआ था जब एक युवा आईएएस अफसर अमित खरे ने चाईबासा डीसी के रूप में पदभार संभाला। 1996 में चारा घोटाले का सामने आया था।

खरे ने इस घोटाले के संबंध में अपनी यादों और विचारों को लेख के जरिये शेयर किया है। इस लेख को एक समाचार एजेंसी ने प्रसारित किया है। एजेंसी से लेख का संक्षिप्त अंश यहां लिया गया है। पूरी बातें अमित खरे की जुबानी रखी गई है :-

 

27 जनवरी, 1996 को चाईबासा ट्रेजरी विभाग, पशुपालन विभाग का कार्यालय और जानवरों के फार्म्स में रेड किया। मैंने विभाग के सभी बिल को जांचना शुरू किया। मैं चौंक गया सभी बिल में एक ही राशि थी, वह थी 9.9 लाख की। बिल एक ही सप्लायर की थी। पहली नजर में मुझे गड़बड़ी का अंदेशा हो गया था। उसी वक्त मैंने जिला पशुपालन पदाधिकारी और विभाग से जुड़े कर्मियों को उनका पक्ष जानने के लिए बुलाया। मुझे कहा गया कि पशुपालन विभाग के सभी कर्मी कार्यालय छोड़ कर भाग गये हैं। तब मैंने तय किया कि मैं खुद अपने दंडाधिकारियों के साथ उनके कार्यालय में जाऊंगा और जांच करूंगा। मैं पशुपालन विभाग का कार्यालय पहुंचा। मैंने जो वहां देखा उससे मैं हतप्रभ था।

वहां मुझे कैश, बैंक ड्राफ्ट्स और बड़ी संख्या में फर्जी बिल मिले। मैंने अपने दंडाधिकारियों को पशुपालन विभाग और उससे जुड़े सभी डिपार्टमेंट को सील करने को कहा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया कि वो पशुपालन विभाग के किसी भी बिल का भुगतान ना करें। साथ ही पुलिस थानों को निर्देश दिया कि सारे रिकॉर्ड्स को सुरक्षित रखा जाए ताकि फर्जी निकासी करने वालों को रिकॉर्ड्स खत्म करने का काई मौका ना मिले।

 

मैंने सभी पहलुओं को जांचा। एजी कार्यालय और राज्य के वित्त विभाग से मिली जानकारी बता रही थी कि पशुपालन विभाग के साल भर के बजट से भी ज्यादा की राशि की निकासी हो चुकी थी। मैंने मामले से जुड़ा पहला एफआईआर दर्ज कराया, जिसे बाद में जा कर नाम मिला ‘‘पशुपालन घोटाला’’। आगे चलकर देवघर से भी इससे जुड़ा एक और मामला सामने आया। देवघर के ट्रेजरी से गलत तरीके से पैसे की निकासी हुई थी। धीरे-धीरे यह मामला सबके सामने आ गया।

 

लालू को मिली सजा न्याय की जीत : सुशील मोदी

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि लालू प्रसाद को सभी पांच मामलों में सजा और जुर्माना होना अंतत: न्याय की जीत है, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से दुख है कि राजद प्रमुख को इस उम्र में जेल जाना पड़ा। साथ ही, कहा है कि यदि लालू प्रसाद को फंसाया गया था तो 2004 से 2014 तक केंद्र में राज करने वाली कांग्रेस ने लालू प्रसाद को क्लीनचिट क्यों नहीं दिलवायी।

सोमवार को ट्वीट कर भाजपा नेता ने कहा कि लालू प्रसाद को चारा घोटाला के पांचवें मामले में भी सजा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन आश्चर्य यह है कि शिवानंद तिवारी, वृषिण पटेल, प्रेमचंद मिश्रा जैसे जिन लोगों ने चारा घोटाला में मुकदमा दायर किया था, वे बाद में पलटी मार कर लालू प्रसाद से मिल गए और कुतर्क देने लगे। इन पाला-बदल लोगों और राजद ने भाजपा पर बार-बार लालू प्रसाद को फंसाने के अनर्गल आरोप लगाए। इन लोगों को न्यायपालिका पर केवल तभी भरोसा हुआ, जब लालू प्रसाद को जमानत मिली।

 

 

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