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NV न्यूज़ मुंगेली: लोरमी विधानसभा चुनाव जो अभी सियासी का गढ़ बना हुआ है इसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष व कांग्रेस से पिछड़ा आयोग अध्यक्ष लोरमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं लोरमी विधानसभा सीट पाटन विधानसभा के बाद सबसे हाइप्रोफाइल सीट मानी जा रही है।
लोरमी विधानसभा चुनाव, द स्माल स्टेप फाउंडेशन के अध्यक्ष समाजसेवी राम परिहार की नजर से
लोरमी विधानसभा से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव मैंदान में है, वहीं दुसरी ओर कांग्रेस से थानेश्वर साहु मैंदान में हैं जोगी कांग्रेस से मनीष त्रिपाठी के लडनें के कयास लगाये जा रहे हैं आज कांग्रेस जिलाध्यक्ष सागर सिंह का आज छत्तीसगढ़ कांग्रेस में शामिल होने की खबरें आ रही है।
5 वर्षों से लगातार सक्रिय
शीलु साहु जो भाजपा से दावेदारी कर रही थी उनका भी भाजपा से बागी होकर स्वतंत्र चुनाव लगनें की खबरें आ रही है।भाजपा कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी है।
आइये थोड़ा विस्तार में जानें का प्रयास
सबसे पहले अरूण साव भाजपा उम्मीदवार की बात करते हैं साव जी छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे हैं वर्तमान सांसद भी हैं प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते धनबल में बहुत मजबूत रहेंगे प्रचार प्रसार भी सबसे बेहतर रहेगे। पर शीलु साहु अगर मैंदान में आई तो पुरा खेल बिगड़ना तय है।
त्रिकोणी जातिगत समीकरण
भाजपा के कोर वोटर साहु हैं। मतलब साहु वोट शीलु साहु को भी मिलेगा, थानेश्वर साहु भी कुछ साहु वोट का पायेंगे ही सामान्य वर्ग का वोट इस बार जोगी कांग्रेस की तरफ जानें की उम्मीद ज्यादा नजर आ रही है। बाहरी होने का आरोप अलग लगा है साव जी पर और भीतरघात उपर से। कुलमिलाकर बेहद कठिन डगर है भाजपा उम्मीदवार के लिए
लोरमी कांग्रेस प्रत्याशी पिछड़ा आयोग अध्यक्ष थानेश्वर साहू
कांग्रेस प्रत्याशी थानेश्वर साहु का भविष्य कांग्रेस के समर्पित वोटर पर निर्भर है इनके पास लोरमी में बड़ा जनाधार नहीं हैं उपर से सागर सिंह बैंस जी का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। कांग्रेस उम्मीदवार को कांग्रेस के कार्यकर्ता ही कमजोर होने की बात कह रहे हैं। उपर से बाहरी होने के कारण विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस के लिए ये है की उसके अनुसचित जाति और जनजाति का वोट जिसे कांग्रेस अपना परंपरागत वोट मानती है वो जोगी कांग्रेस की तरफ जानें की स्थिति बन रही है।
जनता कांग्रेस पार्टी लोरमी मे मजबूत
सागर सिंह बैंस और मनीष त्रिपाठी जी में से कोई एक छत्तीसगढ़ कांग्रेस से मैदान में उतरेंगे ,अगर मनीष त्रिपाठी उम्मीदवार बनते हैं तो उनका जनाधार पहले से बहुत मजबुत है ,जोगी कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ भी है लोरमी, आश्चर्य नहीं की इस चतुष्कोणीय लड़ाई में जोगी कांग्रेस का परचम लहरा जाये।
सागर सिंह को मिल रहा लोकल होने का फायदा
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सागर सिंह बैंस एक मजबूत जनाधार वाले नेता बनकर उभरे हैं ,वे भी इस चुनावी दंगल में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस से बागी के रूप में। सागर सिंह बैंस का जंगल में मजबुत पकड़ माना जाता है। सतनामी समाज में भी गहरी पैठ रखते हैं सागर सिंह बैंस के कारण जो ठाकुर वोटर हैं वो भी भाजपा कांग्रेस से बिदकेंगे सागर सिंह की झोली में जाना तय है।
सबसे बड़ी बात वे लोरमी के स्थानीय निवासी हैं ,हर दावेदार के उपर बाहरी होने के कारण नाराजगी है सागर सिंह बैंस का मैंदान मे आना लोरमी वालों को स्थानीय होने के कारण अपनापन महसूस होगा, जो लोरमी क्षेत्र में सागर सिंह बैंस की जीत के लिए सबसे मजबूत आधार बनेगा। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं तो कुछ कांग्रेसी वोट भी सागर सिंह के पाले में जायेंगे।
साहू के मैदान में उतरते ही होगा चतुर्थांश लड़ाई
शीलू साहु जो निर्दलीय मैंदान में उतरनें की तैयारी में है ऐसा आमजन के बीच चर्चा का विषय है।शीलु साहु लिए सबसे मजबूत आधार है उनके परिवार के स्व.मुनीराम साहु जी का पहले लोरमी से विधायक रहना इसका फायदा निश्चित रूप से मिलेगा। पाँच वर्षो तक लगातार जमीनी स्तर पर काम करना आमजन से सीधा संवाद ये शीलु साहु के लिए चुनाव में सबसे बड़ा असर पैदा करेगा। साथ ही भाजपा के जो साहु वोटर हैं वे बड़ी संख्या में शीलु साहु के पक्ष में वोट करेंगे ऐसा अनुमान है। वर्तमान में जिला पंचायत की सदस्य भी हैं। भाजपा के लिए सबसे बड़ा सदमा होगा अगर शीलु साहु मैंदान में उतर गयी। इनके साथ भी एक समस्या है की लोरमी के लोग इन्हे भी बाहरी कहते हैं इसका नुकसान कितना होगा ये समय बतायेगा।
लोरमी में जाति समीकरण पड़ा उल्टा
लोरमी विधानसभा से विधायक कौन बनेगा ये तो जब परिणाम आयेगा तब पता चलेगा लेकिन इस बार लोरमी की जातिगत गणित उल्टा होगा, सतनामी समाज और आदिवासियों का वोट जो अपनें पाले में ले आयेगा वहीं इस चुनावी नईया को पार करेगा क्योंकि सामान्य वर्ग और पिछड़ा वर्ग इस बार लोरमी विधानसभा में बंटे नजर आ रहे है