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NV न्यूज़, रायपुर। अपने अधिकारों की मांग को लेकर 27 गांवों के किसान 3 जनवरी से नया रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) भवन के सामने धरने पर बैठे हैं। हजारों की संख्याओं में लोग 20 दिनों से तंबू तान कर एनआरडीए के कैंपस पर बैठे हुए हैं। अभी तक दोनों पक्षों के बीच कई बैठकों का दौर पूरा हो चुका है लेकिन! अभी तक इनकी मांगों को लेकर समुचित हल नहीं निकल पाया है।
धरने पर बैठे किसानों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष पुरान चंद्राकर ने NV न्यूज़ को बताया…जब डॉ. रमन सिंह का सरकार था तब हमारे जमीन को लेकर हमारी खेत की जगह में नया रायपुर (New Raipur) बनाया गया। जिसके बदले में हमें खेत का उचित दाम देने का आश्वासन दिया गया, इसके साथ ही नौकरी में प्राथमिकता, सालाना वार्षिक भुगतान और 1200 स्क्वेयर फिट का आवासीय प्लाट आवंटित करने का वादा भी किया गया था। लेकिन बदले में छल के सिवाय और कुछ नहीं मिला।
तब भूपेश बघेल ने हमें आश्वासन दिया था कि, जब हमारी सरकार आएगी तब तत्काल आप लोगों की मांगों को पूरा किया जाएगा। आप लोगों की मांगे जायज है। कहा था लेकिन, अब कहां गए वह बघेल! आज 3 साल बीत चुके हैं लेकिन हालात जस के तस हैं।
1.सभी अर्जित भूमियों के अनुपात में पात्रता अनुसार निश्चित भूखंड आवंटन किया जाए।
2. भू अर्जन में मुआवजा प्राप्त नहीं हुए हो सिर्फ ऐसी भूमियों पर चार गुना मुआवजा दिया जाए।
5. प्रभावित क्षेत्र के शिक्षित बेरोजगारों को योग्यता अनुसार रोजगार दिया जाए।
6. स्थानीय लोगों को पात्रता अनुसार गुमटी चबूतरा दुकान व्यवसाय आदि को लागत मूल्य में उपलब्ध कराया जाए।
आपको बता दें की कोरोना महामारी की तीसरी लहर से देश और प्रदेश लड़ रहा है। हालात पर काबू पाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। समय – समय पर नए – नए दिशानिर्देश भी जारी किए जा रहे हैं। यहां तक छत्तीसगढ़ की रामलीला मैदान कहे जाने वाले बूढ़ा तालाब धरना स्थल से भी प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को धरना समाप्त करने का आदेश भूपेश सरकार द्वारा जारी किया जा चुका है। लेकिन प्रदेश की सबसे प्रमुख और आधुनिक शहर नया रायपुर (अटल नगर) में स्थिति कुछ और ही है।
आखिर क्या कारण है कि ये किसान कोरोना महामारी की खतरा के बाद भी अपनी जान की परवाह न करते हुए औरतें, बच्चे, बूढ़े और जवान सभी धरने पर हैं। जाहिर है सरकार की इन किसानों के प्रति अन्याय और अनदेखी।
पिछले 20 दिनों से लगातार 27 गांवों के हजारों लोग धरने पर बैठे हैं। रात की कपा देने वाला ठंड और दिन की कड़कड़ाती धूप, ऊपर से बेमौसम बारिश और शीतलहर जैसी हवा। इन सब के बाद भी यह किसान डटे हुए हैं। क्योंकि बात भूख की है!