High Court :वकीलों की टीम करेंगी अरपा नदी के संरक्षण व संवर्धन से जुड़े कार्यों की देखरेख

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N.V NEWS – अरपा नदी के संरक्षण व संवर्धन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की पांच सदस्यीय टीम बनाने और प्रमुख विभाग के अफसरों को आपसी समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए हैं।

डिवीजन बेंच ने कहा कि अरपा नदी के संरक्षण के लिए जिम्मेदार प्रमुख विभागों के अधिकारियों को आपसी समन्वय के साथ काम करना होगा। कार्ययोजना और तय अवधि में काम हो रहा है, इसकी निगरानी वकीलों की टीम करेगी। ये टीम अपनी रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को सौंपेगी।

प्राधिकरण हाई कोर्ट के समक्ष पूरी जानकारी रखेगा। अरपा को सुरक्षित रखने और उद्यम स्थल को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए क्या कार्ययोजना बनाई जा रही है, इस संबंध में तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश डिवीजन बेंच ने दिए हैं

अरपा नदी को सुरक्षित रखने के साथ ही बारहमासी पानी रहे और रेत घाटों से हो रही बेतहाशा खोदाई पर प्रभावी रोक लगाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। मामले की जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।

बेंच ने कहा कि विभिन्न जिम्मेदार विभाग द्वारा अपने कर्त्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन न करने के कारण अरपा की बदहाली हो रही है। पंपों के जरिए भूजल का अनियंत्रित दोहन के अलावा जलग्रहण की दिशा में किसी तरह का कोई काम नहीं हो रहा है। अरपा को बचाने और सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न् विभागों के अधिकारियों के बीच समन्वय की जरूरत है। कार्ययोेजना पर क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। लिहाजा नदी सुधार की दिशा में अब कोर्ट ने ही प्रभावी कदम उठाना शुरू कर दिया है।

बिगड़ने लगा नदी का स्वरूप

अरपा नदी में रेत घाट का संचालन किए जाने और बेहताशा खोदाई के कारण नदी का स्वरूप तेजी से बिगड़ने लगा है। पर्यावरण संरक्षण मंडल और एनजीटी के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। निर्देशों के पालन कराने की जिम्मेदारी खनिज विभाग की है। जिम्मेदारों को इस बात की चिंता ही नहीं है। रेत खोदाई में मशीन का उपयोग प्रतिबंधित है। इसके बाद भी भारी भरकम मशीनों के जरिए रेत की खोदाई और परिवहन किया जा रहा है।

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